उत्तराखंड

बाल संरक्षण व पुनर्वास संबन्धित मामलों में लाएं मुस्तैदी : खण्डूड़ी

देहरादून। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेन्द्र खण्डूडी की अध्यक्षता में जनपद के सम्बन्धित विभाग के साथ अनुश्रवण बैठक आयोजित की गयी, जिसमें बाल संरक्षण व पुनर्वास संबन्धित विभिन्न मामलों में संज्ञान लेते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये।

गुरूवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये कि सभी विभाग उनके अधीन बाल कल्याण से सम्बन्धित चलाई जा रही योजनाओं व कार्यक्रमों को नियमानुसार ठीक से लागू करें। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट बच्चों से जुडे मामलों की खुद निगरानी कर रहा है। उन्होंने सभी अधिकारियों को बाल सुरक्षा से जुडे विभिन्न अधिकारियों को समय-समय पर न्यायालय व केन्द्र व राज्य सरकार के आदेशों व निर्णयों की ठीक से जानकारी रखें और उसी अनुरूप कार्य करने के निर्देश दिए।

खण्डूडी ने कहा कि उत्तराखण्ड और जनपद देहरादून का विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी रिपोर्टे अपने विवरण में बच्चों से सम्बन्धित खराब स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण, सुरक्षा और योजनाओं का निम्न स्तर का क्रियान्वयन दर्शाती है, इसी कारण सभी जुडे हुए विभागों सम्बन्धित संस्थाओं को इस पर ठीक से संज्ञान लेते हुए कार्य करें। यदि कार्य के इम्पलिमेन्टेशन करने में कोई दिक्कत आती है तो जिलाधिकारी अथवा आयोग को अवगत करा दें।

उन्हांने परिवहन विभाग को स्कूली बसों में बच्चों की हर तरह से सुरक्षा हेतु सी.सी. टी.वी. कैमरे, ड्राईवर व कन्डक्टर का समय-समय पर सत्यापन, बालिकाओं वालें बसों में महिला हैल्परों की अनिवार्य तैनाती, ओवरलोडिगं, ओवर स्पीडिगं, स्कूलों की पार्किग तथा यातयात इत्यादि प्रबन्धन पर मानक के अनुसार तथा व्यावहारिक अप्रोच अपनाते हुए कार्य करने के निर्देश दिये।

गोष्ठी में शिक्षा विभाग को आर.टी.आई. के तहत निःशुल्क व अनिवार्य प्रवेश, अपेक्षित व गरीब बच्चों की शिक्षा व्यवस्था, पहाडों में स्कुली बच्चों की उपस्थिति, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्कूलों में आधारभूत सुविधायें इत्यादि उपलब्ध करवाये। उन्होने श्रम विभाग को भिक्षा मांगते पाये जाने वाले बच्चों को पुलिस सहयोग से वैरिफिकेशन करने व प्रोवेशन अधिकारी के माध्यम से बाल संरक्षण केन्द्रों में भेजने, संगठित भिक्षावृत्ति के लिए बच्चों को चोरी, कराये पर भिक्षावृति और मदर चाइल्ड प्रकार की भिक्षावृत्ति को हर हाल में रोकने व बिना शिकायत के भी समय‘समय पर औचक निरीक्षण द्वारा बाल मजदूरी कराने वालों पर कठोर कार्यवाही करते हुए बच्चों को मुक्त करने के निर्देश दिये। उन्होने जिला कार्यक्रम अधिकारी आई.सी.डी.सी. को आंगनवाडी केन्द्रों पर पर्याप्त पोषण, स्वच्छ पेयजल तथा नन्दा गौरा देवी योजना का सही लाभ दिलाने,ं समाज कल्याण अधिकारी को विभिन्न छात्रवृत्ति का सही लाभ देने, पुलिस विभाग को बाल अपराध मामलों में तत्काल संज्ञान लेते कार्य करने के निर्देश दिये तथा स्वास्थ्य विभाग को पोक्सों अधिनियम के तहत रेप सम्बन्धी मामलों में पारिवारिक सदस्यों की उपथिति में पुलिस सहयोग से मेडिकल परीक्षण इत्यादि ठीक तरह से करने के निर्देश दिये। आयोग द्वारा अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि बच्चों से सम्बन्धित विभिन्न मामालों में राज्य व जनपद स्तर पर सही व स्पष्ट आकडों का अभाव तथा बच्चों में एकांकी परिवार के चलते अविभावक द्वारा केयर न कर पाने के चलते मानसिंक अस्वस्थता, इण्टरनेट अपराध के गिरफ्त में आने व ड्रग्स, आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति बढ रही है। इसके लिए आयोग ने अस्पतालों में मनोवैज्ञानिक डाक्टर की नियुक्ति अनिवार्य करने तथा पुलिस थानों में बच्चों को हैण्डिल करने वाले अधिकारियों का सॉफ्ट प्रशिक्षण देने को प्राथमिकता देने के निर्देश दिये।

गोष्ठी में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य शारदा त्रिपाठी, व सीमा डोरा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती, मुख्य चिकित्साधिकारी वाई.एस थपलियाल, परिवहन अधिकारी सुधांशु गर्ग सहित शिक्षा, श्रम, आइ.सी.डी.एस., समाज कल्याण, व रेलवे चाईल्ड लाईन देहरादून, बाल कल्याण समिति, जिला विधिक, निर्भया सेवा इत्यादि के सदस्य उपस्थित थे।

10 मई को बाल शिक्षा एवं सुरक्षा विषय पर होगी कार्यशाला :

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्ष ने अवगत कराया कि आगामी 10 मई को घोष ओडिटोरियम सभागार ओ.एन.जी.सी. में बाल शिक्षा एवं सुरक्षा विषय पर सुबह 10 बजे से एक कार्यशाला व सेमीनार का आयोजन किया जायेगा, जिसमें उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि रहेगें तथा राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षता व विभिन्न राज्यों के राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष उपस्थित रहेंगे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button