शिक्षा और रोजगार

विडम्बना : बरसात के मौसम में रास्ता ढूंढकर स्कूल पहुंचते हैं प्रावि हिमरोल के छात्र !

     शांति टम्टा

उत्तरकाशी। उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में कम छात्र संख्या के चलते कई सरकारी स्कूल बंद होने की कगार पर खड़े हैं। वहीं दूसरी ओर स्कूल पहुंचने के लिए दुर्गम व खतरीले रास्तों से होकर गुजरना नौनिहालों के लिए मजबूरी बना हुआ है। उत्तरकाशी जिले के नौगांव ब्लॉक स्थित हिमरोल गांव के प्राथमिक स्कूल की बात करें तो बरसात के मौसम में भूस्खलन के चलते मार्ग पर मलबा आने और गांव में हो रहे अतिक्रमण के चलते नौनिहालों को स्कूल का रास्ता ढूंढना पड़ता है। खराब मौसम में स्कूल पहुंचने की जद्दोजहद में बच्चों की जिदंगी अधर में लटकी रहती है।

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग के लाख दावों के बावजूद सूबे के सरकारी प्राथमिक स्कूलों के हालात सुधरने की जगह हकीकत में उलट हैं। मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा पहाड़ में हालात और ज्यादा खराब हैं। नौगांव ब्लॉक के प्राथमिक स्कूल हिमरोल की बात करें तो यह स्कूल गांव से महज 300 मीटर की दूरी पर स्थित है। स्कूल पहुंचने के लिए एक कच्ची पगडंडी ही विकल्प है जो बरसात के समय भूस्खलन के कारण पहाड़ी से गिरने वाले मलबे से बंद हो जाती है। वहीं दूसरी ओर गांव में कुछ लोगों द्वारा बेतरतीब तरीके से किए गए अतिक्रमण से पैदा हुए हालातों में नौनिहालों के लिए स्कूल पहुंचना चुनौती बन जाता है। बच्चों के अभिभावकों का आरोप है कि उनके बच्चे वैकल्पिक रास्ता ढूंढकर स्कूल पहुंचते हैं जिससे उनकी जान पर खतरा बना रहता है। उनका गुस्सा इस बात को लेकर है कि मामले में स्कूल प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौन साध लेते हैं।

हिमरोल के उप प्रधान सुनिल बडोनी, ग्रामीण वसुदेव बड़ोनी, जगमोहन राणा, अनूप बडोनी, अरविन्द, विपिन, संदीप सहित दर्जनों युवाओं का कहना है कि प्राथमिक स्कूल के लिए स्थायी रास्ते की मांग सरकार और प्रशासन से लंबे समय की जा रही है, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर बच्चों के हित को देखते हुए शीघ्र उनकी मांग पर अमल नहीं किया गया तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।

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