उत्तराखंड

पवन ऊर्जा परियोजनायें : 1513 मेगावाट हुई टीएचडीसी की संस्थापित क्षमता

ऋषिकेश। विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार की कई नई पहल और जनहित की नीतियों के सफल क्रियान्वययन के परिणामस्ववरूप वर्तमान में भारतीय ऊर्जा क्षेत्र को नई गति मिली है। टीएचडीसी से मिली जानकारी के अनुसार निर्धारित लक्ष्य के अनुसार 19 मई, 2017 तक देश के 18,452 गांवों में से 13,511 गांवों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है। टिहरी व कोटेश्विर जल विद्युत परियोजनाओं तथा गुजरात के पाटन व द्वारिका में पवन ऊर्जा परियोजनाओं की कमीशनिंग के उपरांत टीएचडीसी की कुल संस्थापित क्षमता 1513 मेगावाट हो गयी है। गौरतलब है कि टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड को देश का प्रमुख विद्युत उत्पादक संस्थापन होने के साथ ही मिनी रत्न व शेड्यूल ‘ए’ दर्जा प्राप्त होने का गौरव प्राप्त है।

बिजली उत्पादन के लिए कोयले की जरूरत घटी :
टीएचडीसी के हवाले से बताया गया है कि वर्ल्ड बैंक के बिजली प्राप्त व करने की सहुलियत सूचकांक पर भारत का क्रम 2015 में 99 था, उठकर 2017 में 26वें स्थान पर आ गया। प्रति यूनिट बिजली उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले की मात्रा में पिछले 3 वर्षों में 8 फीसदी तक की कमी आयी है। उपभोक्तातओं को सस्ती बिजली पहुंचाने के लिए ट्रांसमिशन क्षमता में अब तक की सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है। 56 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किये गये हैं जिसमें भारत सरकार की उजाला योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा 23 करोड़ तथा निजी क्षेत्र द्वारा 33 करोड एलईडी बल्ब वितरित किये गये। पारदर्शिता, जवाबदेही और सार्वजनिक सुविधा के लिए नये मोबाइल एप्स लांच किये गये। 18002003004 नम्बर पर मिस्ड, कॉल देकर ये एप्सन डाउनलोड किये जा सकते हैं। यह पहला ऐसा वर्ष रहा जब विद्युत की अधिकता रही और कोयले की कोई कमी नहीं रही।

Key Words : Uttarakhand, Rishikesh, THDC, Electricity Production

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