उत्तराखंड

ब्रह्मकमल से महकने लगा हेमकुंड यात्रा मार्ग, जानिए क्या है इस फूल को लेकर मान्यता

जोशीमठ(चमोली)/ डीबीएल संवाददाता। उच्च हिमालयी क्षेत्र में समुद्रतल से 3000 मीटर से लेकर 4800 मीटर तक की ऊंचाई पर खिलने वाला यह देवपुष्प ब्रह्मकमल से हेमकुंड साहिब यात्रा मार्ग समेत पूरी भ्यूंडार घाटी गुलजार हो गई है। इस बार शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण यहां ब्रह्मकमल एक पखवाड़े के विलंब से खिला है। चमोली जिले में हेमकुंड साहिब समेत अटलाकोटी से आगे पूरे यात्रा मार्ग पर इन दिनों देवपुष्प ब्रह्मकमल अपनी महक बिखेर रहा है। यहां ब्रह्मकमल जुलाई से लेकर सितंबर तक खिला रहता है। लेकिन, इस बार शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण यह अगस्त में खिलना शुरू हुआ है। वहीं मान्यता है कि जिस घर में ब्रह्मकमल होता है, वहां सांप नहीं आते। 

 

मान्यता है कि भगवान शिव व माता पार्वती का ब्रह्मकमल अत्यंत प्रिय है। इसलिए हर साल नंदाष्टमी के दिन क्षेत्र की लोकदेवी मां नंदा (पार्वती) को ब्रह्मकमल अर्पित किए जाने की परंपरा है। इस बार नंदाष्टमी सात सितंबर को है। पर्यटन व्यवसायी अजय भट्ट बताते हैं कि देवी नंदा की छोटी जात (लोकजात) के समापन पर श्रद्धालु इसे प्रसाद स्वरूप घरों में भी ले जाते हैं। मान्यता है कि जिस घर में ब्रह्मकमल होता है, वहां सांप नहीं आते। 

सफेद और हल्के पीले रंग का होता है यह फूल

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खिलने वाला ब्रह्मकमल सफेद और हल्का पीला रंग लिए होता है। यह उत्तराखंड का राज्य पुष्प भी है। यहां पंचकेदार, पांगरचुला, भनाई, कागभुशंडी, सहस्रताल, नंदीकुंड, फूलों की घाटी, चेनाप घाटी, हेमकुंड साहिब, सतोपंथ, ऋषिकुंड, देवांगन, डयाली सेरा आदि स्थानों पर यह दिव्य पुष्प खिलता है। उत्तराखंड में इसकी 28 प्रजातियां पाई जाती हैं।

 

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