संस्कृति एवं संभ्यता

जौनसार बावर में उत्पालटा व कुरोली के ग्रामीणों का गागली युद्ध देखने उमड़े लोग

साहिया। जन जातीय क्षेत्र जौनसार बावर में उत्पालटा व कुरोली के ग्रामीणों के बीच जमकर गागली यद्ध हुआ। इस ऐतिहासिक यद्ध को देखने के लिए दूर दराज के लोग एकत्र हुए। पश्चाताप करने के लिए होने वाले यद्ध की समाप्ति पर ग्रामीणों ने एक दूसरे को पाइंता पर्व की बधाई दी।

कालसी ब्लाॅक क्षेत्र के अंतर्गत कुरोली व उत्पालटा के ग्रामीण अपने-अपने गांव के सार्वजनिक स्थल कयाणी में एकत्र हुए। इसके बाद ढोल नगाड़ों व रणसिंघे के साथ हाथ में गागली के डंठल व पत्तों को लहराते हुए नाचते गाते देवधर पहुंचे। जहां दोनों गांवों के ग्रामीणों के बीच गागली युद्ध शुरू हुआ। यह यद्ध पश्चाताप के लिए लड़ा जाता है। इस युद्ध में किसी की हार जीत नहीं होती। युद्ध समाप्त होने पर दोनों गांवों के ग्रामीणों ने गले मिलकर एक दूसरे को पर्व की बधाई दी। इसके बाद उत्पालटा गांव के सार्वजनिक स्थल पर ढोल नगाड़ों की थाप पर सामूहिक रूप से नृत्य का आयोजन हुआ।

दोनों गांवों को श्राप से मुक्त होने का है इंतजार:

ग्रामीणों के अनुसार जौनसार के दो परिवारो पतांण, बैणाण में दो परिवारों के यहां रानी और मुन्नी नामक दो कन्याएं थीं। एक दिन दोनो उत्पाल्टा गांव के पास क्याणी नामक स्थान पर कुएं के पास बैठी थीं। इसी दौरान रानी अचानक कुएं मंे गिर गई, जिसका आरोप मुन्नी पर लगा दिया गया मुन्नी ने अपनी सच्चाई गांव के सामने ऱखी लेकिन गांव वालो ने उसकी एक ना सुनी और उसको दोषी करार दे डाला। न्याय ना मिलने पर अन्त में उसी कुएं में मुन्नी ने भी कूद कर प्राण त्याग दिये थे। ग्रामीणों में मान्यता है कि इस घटना का श्राप आज भी उत्पाल्टा और कुरोली गांव के बैणाण पताण परिवार को जकड़े हुऐ है। इसी श्राप से मुक्त होने के लिये जौनसार के इन गांवों में प्रत्येक वर्ष गागली युद्ध किया जाता है। ग्रामीणों का कहना है की ये यह युद्ध तब तक समाप्त नही होगा जब तक पताण और बैणाण परिवार में दो कन्याएं एक साथ जन्म नही लेगी और जिस भी दिन ऐसा होगा उसी क्षण से जौनसार के ये दोनो गांव श्राप मुक्त हो जाएंगे।

Key Words : Uttarakhand, Dehradun, Jansasar Bawar] Gagli war

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