उत्तराखंड

फॉलोअप – फाइल ने पकड़ी रफ्तार तो बन जाएगा थली गांव में पुल वर्ना ! अभी और झेलनी पड़ेंगी मुसीबतें

बड़कोट/उत्तरकाशी नौगांव ब्लॉक स्थित थली गांव में कमल नदी पर बने अस्थायी लकड़ी के पुल से जीवन जाखिम में डालकर स्कूल जाते बच्चों की खबर को ” देवभूमि लाइव न्यूज पोर्टल ने बीती 02 फरवरी को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। खबर का असर और फॉलोअप के लिए हमारे सीनियर रिपोर्टर शान्ति टम्टा ने ग्रामीणों और प्रशासन से जानकारी जुटाई है। उन्होंने बताया है कि प्रशासन की ओर से पुल निर्माण की मांग पर कार्यवाही की फाइल चलाई गई है, लेकिन सरकारी कार्यशैली की सुस्त चाल को देखकर यही कहा जा सकता है कि शायद इस बरसात भी थली गांव के बच्चों और ग्रामीणों को पूर्व की भांति ही कष्ट झेलने को मजबूर होना पड़ेगा। 

 मामले की तहकीकात के बाद पता चला है कि बीते साल 04 जुलाई, 2017 को स्थानीय विधायक राजकुमार ने ग्रामीणों की कमल नदी पर पुल निर्माण की मांग पर तत्कालीन जिलाधिकारी से विश्व बैंक खंड, लोनिवि उत्तरकाशी के माध्यम से पुल निर्माण करवाये जाने का आग्रह किया गया था। जिसके बाद प्रशासन स्तर की जांच और आख्या उपरांत 26 दिसंबर, 2017 को जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान द्वारा कार्यक्रम निदेशक उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोग्राम (यूडीआरपी), देहरादून को ने थली गांव की कमल नदी पर 54 मीटर स्टील गार्डर पुल निर्माण के लिए प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान करने के लिए पत्र प्रषित किया। मामले में कार्रवाई करते हुए अधिशासी अभियन्ता विश्व बैंक खंड, लोनिवि, उत्तरकाशी ने 26 दिसंबर, 2017 को मुख्य अभियन्ता विश्व बैंक, पीआईयू (यूडीआरपी), देहरादून को जिलाधिकारी के पद का हवाला देते हुए बजट स्वीकृति के लिए अनुरोध पत्र प्रषित कर दिया था। अब देखना यह है कि बजट की स्वीकृति कब तक मिल पाती है।

वहीं थली गांव के पूर्व प्रधान भगीरथ लाला, जयेन्द्र सिंह राणा सहित ग्रामीण जगत सिंह राणा, प्रवीण राणा, जयदेव सिंह, अजब सिंह, दीवान सिंह, कृपाल सिंह राणा, आदि का कहना है कि लंबे समय से शासनप्रशासन से गांव के अवागमन मार्ग और पुल निर्माण की मांग की जा रही है। उनका कहना है कि अब वह अपने मूलभूत सुविधाओं के हक के लिए आरपार की लड़ाई का मन बना चुके हैं।

पूर्व में भी पुल निर्माण की मांग पर भारी पड़ी थी बजट की कमी :

जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ आशीष चौहान द्वारा कार्यक्रम निदेशक उत्तराखंड डिजास्टर रिकवरी प्रोग्राम (यूडीआरपी), देहरादून को प्रेषित पत्र में अवगत कराया गया है कि वर्ष 2015 में कमल नदी पर पुल निर्माण की मांग पर वर्ड बैंक द्वारा फंडिंग की कमी का हवाला दिया गया था जिस वजह से पुल निर्माण कार्य नहीं करवाया जा सका था।

हर रोज स्कूली बच्चों पर मंडराता है खतरा :

थली गांव की ग्राम प्रधान सुशीला राणा का कहना है कि कमल नदी पर पुल होने से सबसे ज्यादा खतरा स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए बना रहता है। उनका कहना है कि बीमार लोगों को समय से अस्पताल पहुंचाना भी किसी चुनौती से कम नहीं है।

बारिश बहा ले जाती है अस्थायी पुल :

थली गांव के ग्रामीणों का कहना का कहना है कि बरसात के दौरान नदी में तेज बहाव के चलते हर बार अस्थायी पुल भी बह जाता है जिससे हालात और भी दयनीय हो जाते हैं।

पत्थर गिरने के साथ जंगली जानवरों का भी भय :

ग्रामीणों का कहना है कि हर रोज़ 50 स्कूली बच्चों को गाँव से नौगांव बाज़ार तक आने में जर्जर संपर्क मार्ग स्यूली पुल की जीर्णशील हालत से होकर लगभग सात किमी अतिरिक्त सफ़र तय करना पड़ता है। मार्ग में पड़ने वाले गोलना डंगार से लगातार पत्थर गिरने का भय और साथ ही मार्ग के जंगल से सटे होने के कारण जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है।

Key Words : Uttrakhand, Uttarkashi, Barkot, Thali village, Bridge Built, Villagers Dimand

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