संस्कृति एवं संभ्यता

पौड़ी जिले की रमणीक चोटी पर स्थित है श्री डांडा नागराज मंदिर

सूरज कुमार

उत्तराखंड राज्य के पौड़ी गढ़वाल जिले की पट्टी कण्डवालस्यू एवं बनेलंस्यू के निकट रमणीक चोटी पर स्थित है आस्था का प्रतीक श्री डांडा नागराज मंदिर। धर्म के जानकारों अनुसार इस मंदिर को सिद्धपीठ कहा गया है। इस मंदिर के सम्बंध में यह मान्यता है कि स्थानीय गांव लसेरा के तल्ला-लसेरा में गुमाल जाति के लोग रहा करते थे। गांव के सरपंच के घर एक गाय थी जो अन्य पशुओं के साथ मंदिर के निकट चारागाह में चरने आती थी। जब गाय दूध देने योग्य हुई तो उसने दूध नहीं दिया। कई दिन बीतने के उपरांत सरपंच ने उस पर निगरानी रखनी शुरू की। उन्होंने देखा कि गाय रोजाना मंदिर के निकट एक पत्थर पर दूध गिराती और एक नाग आकर उस दूध को पीकर लुप्त हो जाता। मुखिया ने गुस्से में आकर उस पत्थर को तोड़ दिया और गाय को घर पर ही बांध दिया, जिसके परिणामस्वरूप गुमाल जाति का इस स्थान से पूर्ण रूप से विस्थापन हो गया।

देश के कोने-कोने से दर्शनाभिलाशी एवं श्रद्धालु मनोकामनापूर्ति के लिए इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। वर्तमान में मंदिर के पुजारी सिल्यू गांव के देशववाल परिवार के लोग हैं। आस्था एवं आध्यात्म का केंद्र होने के साथ-साथ यह सिद्धपीठ पर्यटकों के आकर्षण का भी मुख्य केंद्र है।

कैसे पहुंचें -:

पौड़ी शहर से श्री डांडा नागराज मंदिर तकरीबन 35 किमी की दूरी पर स्थित है। सड़क मार्ग द्वारा अपने वाहन या स्थानीय टैक्सी के माध्यम से करीब डेढ़ घंटे के समय में इस स्थान तक पहुंचा जा सकता है।

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