उत्तराखंड

देहरादून में डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू की दस्तक, पढ़िए कैसे करें बचाव

देहरादून/डीबीएल ब्यूरो। प्रदेश में डेंगू ने विकराल रूप धारण किया हुआ है। राजधानी में ही दो हजार से ऊपर मरीज डेंगू के सामने आ चुके हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में मरीजों से बेड फुल है। इसी बीच अब स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। कौलागढ़ इलाके के एक 52 वर्षीय बुजुर्ग में दिल्ली से आई जांच रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। सीएमओ डा. एसके गुप्ता ने बताया कि कौलागढ़ इलाके के 52 वर्षीय बुजुर्ग को पांच सितंबर को दिल संबंधी बीमारी के चलते गढ़ी कैंट रोड स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सांस में दिक्कत होने और स्वाइन फ्लू के लक्षण मिलने पर दिल्ली स्थित एनसीडीसी लैब सैंपल भेजा गया, सोमवार शाम को आई रिपोर्ट में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। मरीज की हालत सामान्य है और उपचार चल रहा है। वहीं, सभी अस्पतालों को एडवाइजरी जारी कर स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर सैंपल भेजने के निर्देश दिये हैं।

 

क्या है स्वाइन फ्लू 
गांधी शताब्दी अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. प्रवीण पंवार के मुताबिक स्वाइन फ्लू, इनफ्लुएंजा (फ्लू वायरस) के अपेक्षाकृत नये स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस से होने वाला संक्रमण है। इस वायरस को ही एच1 एन1 कहा जाता है। इसे स्वाइन फ्लू इसलिए कहा गया था, क्योंकि सुअर में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार यह मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और तीमारदारों को भी चपेट में ले लेता है। किसी में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखें तो उससे कम से कम तीन फीट की दूरी बनाकर रखनी चाहिए, स्वाइन फ्लू का मरीज जिस चीज का इस्तेमाल करे, उसे भी नहीं छूना चाहिए। 

स्वाइन फ्लू के लक्षण 
दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. जैनेंद्र कुमार का कहना है कि स्वाइन फ्लू के लक्षण नाक का लगातार बहना, छींक आना कफ, कोल्ड और लगातार खांसी, मासपेशियों में दर्द या अकड़न, सिर में भयानक दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान, दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना, गले में खराश का बढ़ते जाना आदि है। 

ऐसे करें बचाव 
कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. एनएस बिष्ट का कहना है कि स्वाइन फ्लू से बचाव इसे नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी उपाय है। बीमारी के बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।

भीड़ वाली जगहों पर बच्चों को न भेजें
दून अस्पताल के डिप्टी एमएस और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. एनएस खत्री का कहना है कि स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए बच्चों और अभिभावकों को जागरूक किया जाए। छात्र-छात्राओं को भीड़ वाले स्थानों में न जाने दिया जाए। स्वाइन फ्लू एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है। मरीज के छींकने, खांसने, हाथ न धोने से फैल सकता है। छात्र-छात्राओं को बार-बार हाथ धोने के लिए प्रेरित किया जाए। वहीं, मास्क लगा कर रखा जाए।  

स्वाइन फ्लू से डरें नहीं पर्याप्त दवाएं उपलब्ध 
दून अस्पताल के एमएस डा. केके टम्टा का कहना है कि स्वाइन फ्लू से चिंतित होने की जरूरत नहीं है। दून अस्पताल में इसकी पर्याप्त दवा है। जरूरत पड़ी तो अलग से वार्ड बना दिया जाएगा।

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