सामाजिक सरोकार

मार्मिक – बाऊजी सरकार तो कोई मदद नहीं कर रही !

पंकज भार्गव

एक दूसरे और जरूरतमंदों की मदद का दम भरने की बात रखने वाले लोग भी इन विकट परिस्थितियों में न जाने कहां नदारद हैं ?

शनिवार की सुबह समय 7.00 बजे दून की सहस्त्रधारा रोड की फुटपाथ पर अपनी सब्जी की दुकान सजाये राकेश अपने पूरे परिवार के साथ ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। उनकी पत्नी, बेटा और मासूम बेटी भी कोरोना संक्रमण के चरम दौर में पिताजी का हाथ बंटाने की खातिर घर से निकलने को मजबूर हैं। कोई ग्राहक कुछ तो ले जाए इस मंशा को लिए राकेश ने फल की ठेली का जिम्मा अपने बेटे को सौंप रखा है।

बातचीत के दौरान राकेश के असहाय हालातों को सुनकर किसी का भी दिल द्रवित हो जाए। उनका कहना है कि बेटा और पत्नी तो उनके काम में हाथ बंटाते हैं लेकिन बटिया छोटी है उसे किराये के कमरे पर किसके सहारे छोड़ें। लाॅक डाउन में समय की पाबंदी के चलते सुबह सवेरे भूखे-प्यासे सब्जी की दुकान सजानी पड़ती है। खाने के अलावा अन्य खर्चों को भी तो किसी भी तरह पूरा करना ही है।

बातों ही बातों में राकेश सरकार के रवैयेे से भी नाखुश नजर आये। उन्होंने दुःख भरे लहजे में कहा कि पिछले साल के लाॅक डाउन में सरकार की ओर से राशन देकर राहत का काम किया गया था। मगर इस बार सरकार ने हमारे जैसे लोगों को हमारे हाल पर ही छोड़ दिया है। बाऊजी जीने के लिए अब मरने की चिंता तो छोड़नी ही पड़ेगी क्यों कि सरकार तो कोई मदद नहीं कर रही !

एक दूसरे और जरूरतमंदों की मदद का दम भरने की बात रखने वाले लोग भी इन विकट परिस्थितियों में न जाने कहां नदारद हैं ?

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