उत्तराखंड

दिव्यांगता सशक्तिकरण कार्यशाला – सरकार और एजीओ के साझा प्रयासों की जरूरत

देहरादून। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 2.21 फीसदी लोग दिव्यांग हैं। देहरादून के सहसपुर ब्लॉक में 6.8 फीसदी लोग दिव्यांगता की विभिन्न श्रेणियों में दर्ज हैं। ग्लोबल हेल्थ के लिए नोबल इंस्टीट्यूट ऑफ मेलबोर्न, सीबीएम और पीएचएफआई के तत्वावधान में विकलांगता रैपिड आंकलन (आरएडी) प्रसार कार्यशाला के दौरान यह जानकारी दी गई। कार्यशाला की मुख्य अतिथि मेलबोर्न विश्वविद्यालय के डॉ. नाथन ग्रिल्स एवं मुख्य परिवीक्षा अधिकारी उत्तराखंड सामाजिक कल्याण विभाग वंदना सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में दिव्यांगों को सशक्त बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शोध अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि सरकार और सामाजिक संगठनों को मिलकर इस दिशा में कार्य करना होगा।

शनिवार को दून के एक होटल आयोजित कार्यशाला के दौरान डॉ. ग्रिल्स ने कहा कि मेलबर्न विश्वविद्यालय और सीएचजीएन उत्तराखंड के बीच किए गए अध्ययन से पता चला है कि दिव्यांगों के हितों के लिए पीपुल्स संगठनों या डीपीओ की कार्यशैली से उनके जीवन और सामाजिक स्तर में काफी सुधार आया है।

कार्यशाला में पीएचएफआई की डॉ. शैलजा प्रज्ञया व जिला समाज कल्याण अधिकारी देहरादून मीना बिष्ट, डीपीओ अध्यक्ष सुंदर थापा, सीबीएम की प्रतिनिधि अनीता सहित स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज कल्याण और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

Key Words : Uttrakhand, Dehradun, Divyang, Empowerment, Workshop

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