स्वास्थ्य

हेपेटाइटिस सी के बढ़ते मामलों के लिए नशा भी जिम्मेदार : डॉ. किशोर

रुद्रपुर। विश्व हेपेटाइटिस दिवस के मौके पर विख्यात डॉ. राहुल किशोर ने कहा कि हर वर्ष लगभग डेढ़ लाख से अधिक लोगों की जान जाने के कारण इस बीमारी को दुनिया की 8वीं सबसे जानलेवा बीमारी माना गया है। उन्होंने कहा है कि भारत में खासतौर पर युवाओं में ड्रग्स और नशे की बढ़ती आदत के चलते यह बीमारी तेजी से पैर पसार रही है। हेपेटाइटिस सी को साइलेंट किलर भी माना जाता है।

डॉ. राहुल किशोर ने कहा कि अपनी प्रैक्टिस में मैंने हेपेटाइटिस बी की तुलना में हेपेटाइटिस सी के अधिक मामले देखे हैं। उत्तराखंड में हेपेटाइटिस सी के मामले हेपेटाइटिस बी की तुलना में दस गुना अधिक हैं। मैं इसके 70-80 मामले देखता हूं, जिनमें स्त्री और पुरुष, दोनों ही शामिल हैं। यह स्थिति मेडिकल जगत के लिए बेहद चिंताजनक है। हेपेटाइटिस सी खून से होने व फैलने वाला संक्रमण है। देश के ज्यादातर संक्रमित इलाकों में इसकी वजह खून के लेन-देन के समय बरती गई असावधानी, प्रयोग की जा चुकी सुइयों को दोबारा इस्तेमाल, सर्जिकल प्रक्रियाओं में असावधानी, उपकरणों का साफ न किया जाना, टूथब्रश व रेजर जैसे निजी संसाधनों का एक-दूसरे में बांटा जाना व असुरक्षित सेक्स संबंध है। सबसे बड़ी मुसीबत है कि अभी तक हेपेटाइटिस बी की तरह हेपेटाइटिस सी के लिए कोई वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है, जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को क्रोनिक लीवर रोग के अलावा लीवर कैंसर तक हो सकता है।

डॉ. किशोर ने बताया कि हेपेटाइटिस सी को साइलेंट किलर माना जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण बिलकुल भी स्पष्ट नहीं होते हैं। इसकी वजह से जल्दी समझ नहीं आता कि कोई इससे संक्रमित है। काफी समय तक इसकी जांच न हो पाने के कारण यह धीरे-धीरे क्रोनिक एचसीवी संक्रमण के तौर पर विकसित होता जाता है।

क्या है हेपेटाइटिस?

हेपेटाइटिस या लीवर में सूजन पांच प्रकार के वायरस से फैलती है ए, बी, सी, डी और ई। हेपेटाइटिस ए और सी के वायरस गंदे पानी व खाने के कारण फैलते हैं तो वहीं हेपेटाइटिस बी और सी ब्लड और बॉडी सिक्रीशन के संपर्क में आने से फैलता है। इनके शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू के समान प्रतीत होते हैं।

भारत की आम जनता में हेपेटाइटिस बी के होने की आशंका 3-5 प्रतिशत है तो वहीं हेपेटाइटिस सी के होने की आशंका 1 प्रतिशत आंकी गई है। यहां इस बात पर जोर डाला जाना जरूरी है कि हेपेटाइटिस के कारण होने वाले संक्रमणों को रोका जाना संभव है।

हेपेटाइटिस बी और सी के संक्रमण को रोकने के लिए ध्यान रखना चाहिए कि व्यक्ति संक्रमित खून और सीमेन के संपर्क में न आए। कोण्डम का इस्तेमाल करने से भी इससे बचा जा सकता है। उसके अलावा अपने निजी सामान, जैसे कि रेजर और सुइयों को किसी के साथ न बांटें। टैटू बनवाते समय भी विशेष ध्यान रखें कि वहां साफ-सफाई हो और सुई भी नई हो।

Key Words : Uttarakhand, Rudarpur,  Dr. Kishor, Hepatitis C

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