भारत यात्रा 13 अक्टूबर को पहुंचेगी दून
देहरादून। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन ने घोषणा की है कि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल यौन शोषण तथा तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए शुरु की गई भारत यात्रा 13 अक्टूबर को देहरादून पहुंचेगी। देहरादून आगे बढ़ते हुए यह यात्रा 16 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी। भारत यात्रा 11 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू होगी और 16 अक्टूबर को दिल्ली में समाप्त होगी।देहरादून। कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन ने घोषणा की है कि नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी द्वारा बाल यौन शोषण तथा तस्करी के खिलाफ लड़ने के लिए शुरु की गई भारत यात्रा 13 अक्टूबर को देहरादून पहुंचेगी। देहरादून आगे बढ़ते हुए यह यात्रा 16 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगी। भारत यात्रा 11 सितंबर को कन्याकुमारी से शुरू होगी और 16 अक्टूबर को दिल्ली में समाप्त होगी।
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रंस फाउंडेशन से मिली जानकारी के अनुसार भारत यात्रा एक ऐसे भारत के निर्माण के लिए शुरू की गई है, जो हमारे बच्चों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हांे। इस यात्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा समर्थन प्राप्त है। उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में तीलू रौतेला स्त्री शक्ति पुरस्कार 2013 की विजेता जया मिश्रा, अध्यक्षा- कुमाऊं सेवा समिति (केएसएस) और डॉ. नेहा शर्मा, एचओडी, श्री गुरू रामराय पीजी कॉलेज, देहरादून, विभाग- एमएसडब्ल्यू आदि ने अपने संबोधनों में उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर बाल यौन शोषण और तस्करी की घटनाओं पर प्रकाश डाला। साथ ही कई ऐसे कई हालिया मामलों पर अफसोस भी जताया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो और राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वे-3 के मुताबिक, 2011 से 2015 के दौरान दो हजार से अधिक बच्चों के लापता होने के मामले दर्ज किये गये। इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चों के साथ लैंगिक हिंसा की बात करें तो, पॉस्को 4 एवं 6 (पेनेट्रेटिव सेक्सुअल एसॉल्ट ऑन चिल्ड्रन) के अंतर्गत 2015 में दर्ज 98 फीसदी मामलों में मुजरिम बाल पीड़ित का जानने वाला था।
जया मिश्रा ने कहा कि बच्चों का लैंगिक शोषण और उनकी तस्कीर एक ऐसा मुद्दा है इस देश के कोने-कोने को प्रभावित करता है। हम इस खतरे को मिटाने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। उन्होंने कहा कि कैलाश सत्यार्थी द्वारा शुरु की गई भारत यात्रा एक ऐसी पहल है, जो हमें अपने बच्चों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद करने करने के लिए एक मंच प्रदान करेगी।
डॉ. नेहा शर्मा ने कहा कि हमारे देश के लिए अब समय आ गया है कि अपनी युवा पीढ़ी को साथ लेते हुए उनकी शक्ति का इस्तेमाल बेहतर कानून बनाने एवं उन्हें सही ढंग से लागू करने के लिए किया जाए। इससे हमारे बच्चों की सुरक्षा और खुशहाली सुनिश्चित हो सकेगी। समाज को भी इस बात के लिए शिक्षित करने की जरूरत है कि बाल पीड़ितों के लिए एक सुरक्षित माहौल कैसे बनाया जाए। बच्चों के लैंगिक शोषण के लिए सभी जिम्मेदार हैं।
एक शानदार विचारशील नेता हैं सत्यार्थी :
एक शानदार विचारशील नेता हैं सत्यार्थी : कैलाश सत्यार्थी पिछले 36 वर्षों से दुनिया भर के बच्चों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और बचाव के लिए अभियान चला रहे हैं। 1998 में उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक मार्च का नेतृत्व किया था। आईएलओ को बाल मजदूरी के सबसे खराब स्वरूप के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्ताव पारित करने के लिए प्रेरित किया। 2001 में उन्होंने शिक्षा यात्रा शुरू की, जिसके बाद शिक्षा के अधिकार को भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में शामिल किया गया। हैं। उन्होंने हमारे देश की सामाजिक और राजनीतिक नीतियों को प्रभावित करने में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाई है। बच्चों के अधिकारों के लिए उनके लगातार प्रयासों और संघर्ष के लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार (2014) से सम्माानित किया गया।
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