…जो सब कर रहे हैं वही ठीक होगा !!!
व्यंग्य :
हमारे देश में रिसर्च यानि अनुसंधान कुछ विशेष क्षेत्र तक ही सीमित है, लेकिन दुनिया के कई सम्पन्न देशों में जिज्ञासा का यह पहलू हमसे कहीं ज्यादा है। भेड़ चाल का मुहावरा हमारे देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में खूब प्रचलित है। मनुष्य के कार्य करने की पद्धिति एवं व्यवहार से जुड़े इस मुहावरे की हकीकत को जानने के लिए यूएसए में एक रिसर्च की गई।
इस रिसर्च के लिए मनुष्य के पूर्वज कहे जाने वाले 5 बंदरों को एक कमरे में रखा गया। कमरे की छत के ऊपर 5 केले भी रखे गए। अमूमन देखा जाता है कि कुत्ता, बंदर, बिल्ली सरीखे जानवर पानी में गीले होने से बचते हैं या यूं कहिए कि उनके ऊपर पानी डाला जाए तो वे घबरा-से जाते हैं। रिसर्च कर रही टीम के लोगों ने कमरे का दरवाजा खोलने से पहले 5 में से 4 बंदरों के ऊपर पानी उड़ेल दिया और एक बंदर को सूखा रखा। सूखा वाला बंदर झट से कमरे से बाहर निकला और सीढ़ियों से चढ़कर केलों के पास पहुंच गया। जबकि गीले बंदर कमरे के एक कोने में सिमट कर बैठे रहे।
अगले दिन छत पर चढ़ने वाले बंदर के स्थान पर नया बंदर रखा गया और भीगे वाले 4 बंदरों में एक को सूखा रखा गया। इस बार पुराने 4 बंदरों में सूखा बचा बंदर बिना समय गंवाये छत पर चढ़कर केले खाने पहुंच गया। इस प्रक्रिया को पांच-छह बार दोहराया गया और हर बार छत पर चढ़ने वाले बंदर को बदला गया और भीगने वाले बंदरों में से एक को अगले दिन सूखा रखा गया। रिसर्च के आखिरी दिन बहुत चैंकाने वाला रिजर्ट सामने आया। भीगे हुए 4 बंदरों के साथ सूखा हुआ बंदर भी कमरे के कोने में ही बैठा रहा।
इस रिसर्च से यह निष्कर्ष निकाला गया कि सूखे हुए बंदर ने भी अपने भीगे हुए साथियों को देखकर यह मन बना लिया कि जो उसके साथी कर रहे हैं वही ठीक है और उसने छत पर जाना मुनासिफ नहीं समझा। आखिरकार अमेरिका के रिसर्चर ने भी भेड़चाल के मुहावरे को सही घोषित कर दिया। (पंकज भार्गव)