उत्तराखंड

सरकार से नाराज आशा वकर्स ने जनहित को दी तबज्जो – कार्य पर वापस लौटने का लिया निर्णय

प्रदेश सरकार को चेताया कि यदि बाकी मांगों पर जल्द निर्णय नहीं लिया गया तो यूनियन दोबारा आंदोलन की राह पर जाने को विवश होगी

डीबीएल संवाददाता देहरादून

मासिक वेतन पेंशन और आशा वकर्स को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने समेत 12 सूत्री को मांगों को लेकर चल रहा आशा वकर्स यूनियन का राज्यव्यापी बेमियादी कार्य बहिष्कार जनहित को लेकर समाप्त हो गया है। यूनियन का कहना है कि उत्तराखंड राज्य कैबिनेट की बैठक के फैसले मासिक पारिश्रमिक में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित होने के बाद लंबित मुद्दों पर भविष्य में संघर्ष जारी रहेगा।

बुधवार को सीटू से संबंधित उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि सरकार द्वारा आशाओं को मिलने वाले मासिक पारिश्रमिक को बढ़ाने का प्रस्ताव 2 अगस्त से यूनियन द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन व हड़ताल के बल पर ही संभव हुआ है भले ही राज्य सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतरी और राज्य के मुख्यमंत्री ने आशाओं से किए गऐ अपने वादे को तोड़ा है लेकिन व्यापक जनता के स्वास्थ्य संबंधी हितों के मद्देनजर आशाओं ने काम पर वापस लौटने का फैसला कर लिया है। पेंशन सामाजिक सुरक्षा और सम्मान जैसे सवालों पर सरकार ने कुछ भी नहीं किया गया है इसके लिए भविष्य में संघर्ष जारी रहेगा।

दून में आयोजित यूनियन की बैठक में उत्तराखंड आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ता यूनियन सीटू शिवा दुबे प्रांतीय अध्यक्ष कलावती चंदोला धर्मिष्ठा आशा चैधरी सुनीता चैहान लोकेश रानी अनीता भट्ट मीना जख्मोला सरोज अनीता अग्रवाल पिंकी सीमा नीलम सविता सरिता नौटियाल कल फिर सॉरी सुशीला जो चीज प्रमिला राणा नीरा कंडारी नीरज सुनीता पाल पिंकी रत्ना सीमा संगीता सुनीता इंदरजीत कौर बबीता शर्मा रामा ललिता रोशनी राणा फुलमा देवी विमला मैथानी साक्षी यशोदा कीर्ति मनप्रीत लता पिंकी सोलंकी ममता आदि बड़ी संख्या में आशा कार्यकर्ता शामिल रहीं।

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