योगी प्रियव्रत ने जीवन जीने के मूल मंत्र बताये
डीबीएल संवाददाता/ देहरादून
पञ्च दशनामी जूना सलोगड़ा सोलन के महंत ब्रह्मलीन स्वामी देवनारायण पुरी के अनुयायी दीक्षित योगी प्रियव्रत अनिमेष ने गुरूवार को दून में आयोजित प्रेस वार्ता में मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” की महिमा और जीवन जीने के पांच मूल मन्त्रों के बारे में विस्तार से बताया। उनका कहना है कि शिव न सिर्फ इस समस्त संसार, बल्कि पूरे परिचित और अपरिचित ब्रह्माण्ड के मूल हैं। यदि ब्रह्माण्ड को समझना है तो शिव को समझना होगा। योगीजी के अनुसार शिव को समझने का सबसे आसान रास्ता शिवजी का मंत्र “ऊँ नमः शिवाय” ही है।
योगी जी के अनुसार, मनुष्य होना ही जीव होने की सबसे बड़ी और सुंदर बात है, किंतु मनुष्यों में योगी होना मनुष्यता की पराकाष्ठा है। योगी प्रियव्रत अनिमेष का उद्देश्य समाज को मनुष्यता और आध्यात्म में परस्पर समंवय को समझाना है। किसी भी व्यक्ति को स्वयं को किसी से नीचे नहीं समझना चाहिए क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति अपने आप में श्रेष्ठ है। हमारे पास जीतने संसाधन है हमें उन्हे कभी भी कम नहीं आंकना चाहिए। हमें अपनी दिनचर्या में ध्यान लगाने के साथ-साथ शिव आराधना को भी शामिल करना चाहिए।
योगी जी को उनके गुरुदेव से संन्यास जीवन का नाम “प्रियवृत” मिला। उन्हें सामाजिक उत्थान के कार्यों के लिए समाज द्वारा ‘अनिमेष’ नाम प्रदान किया गया।आज उन्हें स्वामी श्री प्रियव्रत अनिमेष के नाम से जाना जाता है।