हरीश रावत के आत्मविश्वास की पराजय या किस्मत हारी !
देहरादून। विधान सभा चुनाव 2017 के नतीजों को लेकर कई बड़े ज्योतिषाचार्यां ने हरीश रावत की सत्ता में वापसी की तमाम घोषणाएं की थीं, लेकिन हरीश रावत को हरिद्वार और किच्छा दोनो ही विधानसभा सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। उत्तराखंड में आए चुनावी परिणाम ने कांग्रेस का पूरी तरह से सूपड़ा ही साफ कर दिया है। वहीं भाजपा का कांग्रेस का मुक्त उत्तराखंड का मिशन सच हो गया है।
हरीश रावत ने हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों सीटों पर उनकी हार हुई। जबकि मतदान और मतगणना से पहले हरीश रावत हर मंच पर आत्मविश्वास के साथ कांग्रेस की जीत का दावा कर रहे थे। 2016 मार्च में उत्तराखंड की राजनीति में आई अस्थिरता के बाद प्रदेश के लोग चुनाव को लेकर पूरी तरह से मन बना चुके थे। बागियों के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने से भाजपा की ओर से भी राजनीतिक वार तेज हो गए, लेकिन हरीश रावत भी अकेले ही अपनों से और पूरी भाजपा से हर स्तर पर मुकाबला करते रहे।
16 साल के उत्तराखंड में पहली बार प्रदेशवासियों को राष्ट्रपति शासन तक देखना पड़ा, लेकिन भाजपा और बागियों की तमाम कोशिशों के बाद भी हरीश रावत ने सत्ता में वापसी की। अदालत ने राष्ट्रपति शासन को असंवैधानिक करार दिया। किस्मत ने हरीश रावत का साथ दिया और वह दोबारा सत्ता पर काबिज हो गए, लेकिन इस बार विधान सभा के परिणामों ने हरीश रावत की हार को लेकर यह सवाल जरूर खड़ा हुआ है कि यह हार कांग्रेस के ‘वन मैन आर्मी’ कहे जाने वाले हरीश रावत के आत्मविश्वास की हुई या फिर उनकी किस्मत की।
Key Words : Uttarakhand, Election, Harish Rawat, self-confidence, defeat luck