उत्तराखंडस्वास्थ्य

स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीते 10 वर्षों में हुए ऐतिहासिक कार्य: सीएम धामी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को एम्स ऋषिकेश में नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन के 43वें दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन *NMOCON-2024* कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

डीबीएल संवाददाता / देहरादून।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अधिवेशन में आए चिकित्सक एवं छात्रों का उत्तराखंड में स्वागत करते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद को अपना आदर्श मानने वाला यह संगठन निरंतर ’नर सेवा नारायण सेवा’ के भाव से देश में अपनी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहा है। देश के विभिन्न स्थानों पर चिकित्सकों और छात्रों द्वारा स्वास्थ्य से जुडे विभिन्न विषयों पर चिंतन करना सराहनीय प्रयास है। इस प्रकार ’’स्वास्थ्य सेवा से राष्ट्र सेवा’’ और ’’स्वास्थ्य सेवा ही राष्ट्र सेवा’’ के सिद्धांत को अपनाकर संगठन द्वारा अंत्योदय की भावना से कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 10 वर्षों में ऐतिहासिक कार्य हुए हैं। साथ ही स्वास्थ्य के विभिन्न क्षेत्रों में निरंतर सुधार जारी है, इनमें सस्ते उपचार व दवाइयां, ग्रामीण स्तर पर आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाएं, मानव संसाधन का विकास और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ाने के लिए तकनीक का उपयोग आदि शामिल है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवा में अंत्योदय की सोच के साथ कार्य कर रही है। पिछले दस वर्षों में देश में 200 से अधिक नए मेडिकल कॉलेजों का निर्माण हुआ है। वर्तमान में 22 से अधिक एम्स में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। साथ ही योग और आयुष को लेकर देश में और अधिक जागरूकता आई है। विश्व में योग को लेकर आकर्षण बढ़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हैल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर के माध्यम से आम जनमानस को उनके क्षेत्रों में स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने के लिए जन आरोग्य अभियान का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन का उद्देश्य क्षय रोगियों को रोग मुक्त करना है, जिसके लिए भारत को क्षय मुक्त बनाने के लिए 2025 का लक्ष्य रखा गया है। जबकि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2024 तक इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए धरातल पर कार्य किया जा रहा है।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल, डॉ. धन सिंह रावत, निदेशक एम्स प्रो. मीनू सिंह, आरएसएस सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि आदि मौजूद थे।

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