2 मई को खुलेंगे तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट
रुद्रप्रयाग। पंच केदारो में तृतीय केदार के नाम से विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल तुंगनाथ मन्दिर मक्कूमठ से हिमालय के लिये रवाना हो गयी है। प्रथम रात्रि प्रवास के लिये भगवान तुंगनाथ की डोली गांव के निकट भूतनाथ मन्दिर पहुंची। 2 मई को भगवान तुंगनाथ की डोली के धाम पहुंचने पर तुंगनाथ तीर्थ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिये खोल दिये जाएंगे।
सोमवार को वेदपाठियों व विद्वान आचार्यो ने भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव मूर्तियों की पंचांग पूजन व पौराणिक परम्परओं के अनुसार विशेष पूजा अर्चना कर आरती उतारी गई तथा चल विग्रह उत्सव मूर्तियों को चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर डोली का विशेष श्रृंगार किया गया। ठीक साढ़े नौ बजे भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ से कैलाश के लिये रवाना हुई। डोली के धाम के लिये रवाना होते ही मक्कू गांव तुंगनाथ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा। भगवान तुंगनाथ की डोली व तुंगनाथ धाम तक साथ चलने वाले अनेक देवी देवता के निशाणों ने मक्कू गांव में विराजमान तुंगनाथ मन्दिर की तीन परिक्रमा कर धाम के लिये रवाना है।
भगवान तुंगनाथ की डोली के धाम रवाना होते ही श्रद्वालुओं ने डोली को लाल पीले वस्त्र अर्पित किये तथा डोली का पुष्प व जौ से स्वागत किया। डोली गांव के हर तौकों व खेत खलिहानों में श्रद्वालुओं को आशीष देते हुये पुणखी नामक तोक पहुंची जहां पर श्रद्वालुओं ने भगवान तुंगनाथ को नये अनाज का भोग लगाकर पुणखी मेले का आयोजन किया। भूतनाथ मन्दिर के लिये रवाना हुये। मंगलवार को भगवान तुंगनाथ की डोली विभिन्न यात्रा पडावों पर श्रद्वालुओं कों आशीष देते हुये द्वितीय रात्रि प्रवास के लिये चोपता पहुंचेगी। 2 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली चोपता से रवाना होकर सुरम्य मखमली बुग्यालों से होते हुये तुंगनाथ धाम पहुंचेगी तथा डोली के धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के 6 माह के लिये खोल दिये जायेंगे।