उत्तराखंड

केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ हुए बंद

रुद्रप्रयाग/उत्तरकाशी। द्वादश ज्योर्तिलिंगों में शामिल भगवान केदारनाथ के साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। वहीं, बदरीनाथ धाम के कपाट 20 नवंबर को बंद होने हैं। गंगोत्री मंदिर के कपाट कल ही बंद कर दिए गए थे।

केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद अब शीतकाल के छह माह में भोले बाबा की पूजा अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में संपन्न होगी। वहीं, मां यमुना के दर्शन उनके मायके व शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे। कपाटबंदी के मौके पर बदरी-केदार मंदिर समिति ने केदारनाथ मंदिर को चारों ओर से 10 कुन्तल फूलों से सजाया हुआ है। वहीं श्रद्धालुओं की भीड़ की ओर से लगाए गए बाबा के जयकारों से पूरी केदारपुरी गूंजती रही।

प्रतिवर्ष विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट खुलने का समय माहशिव रात्रि पर्व पर तय होती है, जबकि मंदिर के कपाट बंद होने की तिथि पौराणिक परम्परा अनुसार भैयादूज पर्व पर निर्धारित है। इस वर्ष भी आज भैयादूज पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए पौराणिक रीति रिवाजों के साथ बंद कर दिए गए।

कपाट बंद होने से पूर्व पुजारी ने मंदिर के गर्भगृह में सुबह तीन बजे से विशेष पूजा अर्चना शुरू कर दी थी। भागवान को भोग लगाने के उपरान्त भक्तों ने केदारबाबा के दर्शन किए। इसके बाद भगवान को समाधि पूजा के बाद गभगृह के कपाट बंद कर दिए गए। अंत में मंदिर के मुख्य कपाट सुबह ठीक 8 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान की पंचमुखी उत्सव डोली सेना के जेकलाई रेजीमेंट के बेंड की धुनों के साथ अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हो गई। केदारनाथ की उत्सव डोली रामपुर में रात्रि विश्राम करेगी। 10 नवंबर को भोले बाबा की डोली रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 11 नवंबर को उत्सव डोली पंचशीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी। शीतकाल के छह माह तक यहीं पर भगवान केदारनाथ की शीतकालीन पूजाएं व भक्त दर्शन कर सकेंगे।

उत्तरकाशी स्थित विश्व प्रसिद्ध यमुनोत्री धाम के कपाट आज 12.15 मिनट पर बंद कर दिए गए। मां यमुनोत्री को लेने के लिए खरसाली से शनिदेव की डोली यमुनोत्री पहुंची। शनिदेव की इस डोली के साथ मां यमुना की डोली खरसाली पहुंचेगी। शीतकाल में पर्यटक व यात्री मां यमुना के दर्शन उनके मायके व शीतकालीन प्रवास खुशीमठ (खरसाली) में कर सकेंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट भयादूज के अवसर पर विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ बंद किए जाते हैं। शुक्रवार सुबह शनिदेव अपनी बहिन को लेने के लिए खरसाली से यमुनोत्री धाम के लिए डोली से रवाना हुए। दस बजे शनिदेव की डोली यमुनोत्री धाम पहुंची। विधिवत पूजा अर्चना के बाद दोपहर सवा बारह बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इसके बाद बहिन (यमुना) की अगवायी करते हुए शनिदेव की डोली वापिस खरसाली को चल पड़ी। यह सीजन यात्रा की दृष्टि से बेहद शुभ रहा।

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