मासूमों को मारना धर्मयुद्ध नहीं : स्वामी स्वरूपानन्द
टंकारा/गुजरात। आतंकवादियों की कायराना हरकतों को धर्म युद्ध कतई नहीं कहा जा सकता क्यों कि वे मासूम और निरपराध लोगों को मारते हैं। आतंकवादी आततायी हैं, जेहादी नहीं। यह बात स्वामी स्वरूपानन्द सरस्ती ने गुजरात में आयाजित कए धार्मिक अनुष्ठान के दौरान कही।
स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा कि आज पूरी दुनिया आतंकवादियों की करतूतों से परेशान है। सार्वजनिक स्थलों पर मासूम लोगों की हत्या कर आतंकी उसे जेहाद की लड़ाई बताते हैं। जबकि किसी निर्दोष को मारना किसी भी धर्म में उचित नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना युद्ध की नीतियों के अनुसार आतंकवादियों का सफाया करने में जुटी है। पूरे देश की जनता का यह कर्तव्य बनता है कि ऐसे हालातों में सेना का मनोबल बढ़ाएं।
स्वामी स्वरूपानन्द ने कहा युद्धकाल के समय देशवासियों को अपने सैनिकों की सहायता करनी चाहिए। शत्रु को भेद न मिलने पाए यह भी देशरक्षा में योगदान है। महिलाओं के योगदान के विषय में उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि आवश्यकता पढ़ने पर देश की महिलाओं ने भी युद्ध में भाग लिया। महारानी लक्ष्मी बाई इसकी मिसाल हैं।
स्वामी स्वरूपानन्द ने सभी देशवासियों से आह्वान किया कि आज समय की यह आवश्यकता है कि सभी देशवासी अपने सारे भेदभाव भुलाकर देश की रक्षा और खुशहाली के लिए एकजुट हों।
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