महंत देवेन्द्र दास ने सूरज कोठियाल की पुस्तक “द लास्ट देवता” को सराहा
देहरादून। प्राचीन हिमालय में मौजूद जादूई शक्तियों और देहरादून के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़े रोचक तथ्यों को दर्शाने वाली युवा लेखक सूरज प्रकाश कोठियाल की पुस्तक ‘द लास्ट देवता’ के विषय और जानकारियों को श्री गुरू राम राय दरबार के महंत महाराज श्री देवेन्द्र दास जी ने सराहा है।
मंगलवार को श्री गुरू राम राय दरबार में महंत महाराज देवेन्द्र दास ने युवा लेखक सूरज प्रकाश कोठियाल को उनकी पुस्तक “द लास्ट देवता” के प्रकाशन पर बधाई दी। महाराज ने कहा कि युवा लेखक सूरज कोठियाल का प्राचीन हिमालय की संस्कृति को पुस्तक के माध्यम से दर्शाने का प्रयास प्रशंसनीय और सराहनीय है। महाराज ने कहा कि देहरादून में रहने वाले हर बच्चे को इस खूबसूरत शहर के इतिहास के बारे पता होना चाहिए। मंहत जी ने पुस्तक को गुरू राम राय मिशन के तहत संचालित किए जा रहे स्कूलों में सभी छात्रों को पुस्तक उपलब्ध करवाने की बात कही।
युवा लेखक ने बताया कि पुस्तक की कहानी हिमालय के सात देवीय ढोल के चारों ओर घूमती है जो प्रधान पुजारी, नीलात्मा की अचानक मृत्यु के साथ बजना बंद हो गया है, लेकिन उनकी मृत्यु से कुछ समय पहले नीलात्मा ने भैरव देवता के ढोल के कार्यवाहक राको अमेय को जादुई पत्थर का रहस्य बताया। हालांकि नीलात्मा के अंतिम संस्कार के समय पर राको अमेय ने नीर नामक एक युवा लड़के के पास वैसा ही पत्थर देखा जो नीलात्मा ने उसे बताया था। कहानी युवा लड़के पर आधारित है जो एक जादुई पत्थर में आती है और हिमालय के मुख्य पुजारी नीलात्मा की विरासत को आगे जारी रखता है।
इसके आलावा ‘द लास्ट देवता’ पुस्तक कई ऐतिहासिक घटनाओं से प्रेरित है और देहरादून के कई प्रमुख स्थानों का उल्लेख इसमें किया गया है।
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