संस्कृति एवं संभ्यता

रुद्रप्रयाग जिले के तरवाड़ी गांव में पांडव नृत्य आयोजित – अंतिम दिन भावुक हुए श्रद्धालु

रुद्रप्रयाग। भरदार क्षेत्र के तरवाड़ी गांव में चल रहे पांडव नृत्य का फल वितरण के साथ समापन हो गया। पांडवों ने अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य करने के बाद भगवान नारायण द्वारा फेंके गए फलों को भक्तों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। अंत में पांडवों व देव निशानों के अपने ससुराल स्वीली जाने का विदाई का पल सभी को भावुक कर गया। ग्रामीण बड़ी संख्या में देच निशानों को स्वीली गांव तक छोड़ने भी गए। अंतिम दिन दूर-दराज क्षेत्रों से सैकड़ों श्रद्धालु इस आस्था के दर्शन करने पहुंचे।

विगत माह 19 नवम्बर से ग्राम पंचायत दरमोला के तरवाड़ी में शुरू हुए पांडव नृत्य का बुधवार को विधिवत समापन हो गया है। भगवान बद्रीविशाल एवं शंकरनाथ की विशेष पूजा अर्चना के बाद भोग लगाया गया। पुजारी ने पांडवों के अस्त्र-शस्त्रों की भी विशेष पूजा अर्चना की गई। पहले तो ढोल दमाऊ की थाप पर पांडवों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी खूब नृत्य किया। बाद में बाण आने पर पांडवों ने ही अस्त्र-शस्त्रों के साथ नृत्य किया। पांडवों का नृत्य ने लोगों को खूब आनंदित भी किया। भगवान नारायण के पश्र्व समेत सभी पांडवों ने अंत में भक्तों के बीच फल फेंके, जिसे भक्तों ने उन्हें प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

मान्यता है कि जो भक्त इस फल को पकड़ा है, उसे मनवांछित फल की फल की प्राप्ति होती है। इससे पूर्व गत मंगलवार रात्रि को रातभर अस्त्र-शस्त्रों के साथ पांडव नृत्य चला, जिसमें गेंडे का कौथिग आकर्षण का केन्द्र बना रहा। गेंड़ा मरने के बाद पांडवों ने जौ की फसल बौने के साथ ही उसे काटने का पूरा सजीव चित्रण किया गया। फसल कटने के बाद उसका एक हिस्सा बद्रीनाथ भगवान को चढ़ाया गया। अन्य हिस्से को भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरण किया गया। इस दौरान पांडवों ने केदारनाथ यात्रा पर जाने का मंचन कर भी किया।

बुधवार को अंत में पांडवों एवं देवी-देवताओं के निशान अपने ससुराल स्वीली गांव के लिए विदाई का दृश्य सभी भक्तों को भावुक कर गया। इस दौरान भक्तों के जयकारों के साथ यहां का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। पांडव नृत्य देखने के लिए दरमोला, डुंग्री, स्वीली, सेम, जवाड़ी, रौठिया, मेदनपुर से बड़ी संख्या भक्तजन उपस्थित थे।

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