अपना दून

वृद्धजनों का सम्मान न करने वाले समाज का विनाश तय – महामंडलेश्वर प्रखर जी महाराज

  • डीबीएल डेस्क/देहरादून
  • लाॅकडाउन के समय जरूरतमंदों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य संस्थानों, समाजसेवी और नागरिक सुरक्षा संगठन के स्वंयसेवियों को किया गया सम्मानित
  • शव निस्तारण कर सिविल डिफैंस के वालियंटर ने दिखाई मानवता की राह :

जिस घर या समाज में वृद्धजनों का सम्मान नहीं किया जाता वह समाज ज्यादा समय तक टिकता नहीं और विनाश की राह पर चला जाता है। यह बात महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज ने होप संस्था की ओर से आयोजित कोरोना योद्धा सम्मान समारोह के दौरान कही। कार्यक्रम में कोरोना के चरमकाल में लाॅकडाउन अवधि के समय निस्वार्थ भाव के साथ जरूरतमंदों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य संस्थानों, समाजसेवी और नागरिक सुरक्षा संगठन के स्वंयसेवियों को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

रविवार को कोरोना योद्धा सम्मान समारोह में हिमालियन इंस्टीट्यूट हाॅस्पिटल ट्रस्ट जौली ग्रांट के संचालक डाॅ विजय धस्माना को सम्मानित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी प्रखर जी महाराज ने कहा कि डाॅ धस्माना की अगुवाई में हिमालयन हाॅस्पिटल ने कोरोना महामारी के चपेट से ग्रसित लोगों का निस्वार्थ भाव से इलाज और उनकी जरूरतों को पूरा कर स्वास्थ्य के पेश में मिसाल पेश की है। उन्होंने कहा कि पुराने समय में देहरादून को द्रोण नगरी के रूप में पहचाना जाता था आज इस नगरी ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर इस बात को सच कर दिया है।

हिमालियन इंस्टीट्यूट हाॅस्पिटल ट्रस्ट के संचालक डाॅ विजय धस्माना ने सम्मान के लिए होप संस्था का आभार जताते हुए कहा कि कोविड महामारी के समय मानवता की सेवा करने वाले सभी व्यक्ति सम्मान के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वाइरस से बचाव का अभी तक सटीक उपचार उपलब्ध नहीं हो पाया है लेकिन जागरूकता और सरकार द्वारा निर्धारित गाइड लाइन का पालन इस दिशा में बेहद महत्वपूर्ण है।
होप संस्था के अध्यक्ष एवं नागरिक सुरक्षा संगठन देहरादून के मुख्य वार्डन डाॅ सतीश अग्रवाल ने कार्यक्रम में मौजूद सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि कोरोना काल के समय होप संस्था के कार्यकर्ताओं ने जनसेवा के भाव को सच कर दिखाया। उन्होंने बताया कि नागरिक सुरक्षा संगठन के 150 वालियंटर जरूरतमंदो को भोजन पहुंचाना, दवाई वितरण, रक्तदान जैसे पुनीत कार्याें में दिन-रात जुटकर निस्वार्थ भाव की अद्वितीय मिसाल पेश की।

कार्यक्रम में टपकेश्वर महादेव मंदिर के महंत कृष्णा गिरी महाराज, होप संस्था के मनोहर लाल जुयाल, श्याम सुंदर गोयल, डाॅ विश्व रमन आदि ने भी अपने विचार रखे।

शवों का अंतिम संस्कार कर दिखाई मानवता की राह :

कोरोना महामारी की दूसरी लहर के समय हुई मौतों का दौर बेहद भयावह रहा। बीमारी की चपेट से मौत के मुंह में चले गये लोगों के परिजन और रिश्तेदार संक्रमण के डर से मृतक का अंतिम संस्कार तो दूर उनको छूने से भी डर रहे थे। ऐसे समय में स्थानीय प्रशासन ने सिविल डिफैंस के वालियंटरों से मदद मांगी। सिविल डिफैंस के वार्डन डाॅ मुशीर अंजुम, डाॅ अशरफ खान, सरदार बलविंदर सिंह और नितिन कुमार ने कोरोना मृतकों का पूरे विधि विधान से अंतिम संस्कार कर मानवता के धर्म का पालन किया। डाॅ मुशीर अंजुम ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि शहर के हास्पिटल में 23 वर्ष की एक युवती का मृतक शरीर उनके परिजन हाॅस्पिटल से लेने तक नहीं आये तब हाॅस्पिटल के प्रबंधकों ने उनसे दूरभाष पर संपर्क किया और उन्होंने अपनी टीम के साथ युवती के शव का अंतिम संस्कार किया। शहर के कई हास्पिटलों से उन्होंने शवों को उठाकर धर्म के अनुसार मृतकों का अंतिम संस्कार करवाया। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार हरिद्वार व ऋषिकेश में मृतकों का अस्थि विसर्जन भी किया। इस दौरान करीब डेढ़ महीने की अवधि में 205 मृतकों का अंतिम संस्कार करवाया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button