गणतंत्र दिवस परेड 2018 – “ग्रामीण पर्यटन” होगा उत्तराखण्ड की झांकी की थीम
देहरादून। गणतंत्र दिवस परेड, 2018 राजपथ नई दिल्ली में उत्तराखण्ड राज्य की झांकी ‘ग्रामीण पर्यटन’ को रक्षा मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली में आयोजित बैठक में अंतिम रूप से चयनित कर लिया गया है। यह जानकारी देते हुए महानिदेशक सूचना डॉ.पंकज कुमार पाण्डेय ने बताया है कि रक्षा मंत्रालय भारत सरकार के अधीन गठित विशेषज्ञ समिति के सम्मुख 29 राज्यों और 20 मंत्रालयों द्वारा अपने प्रस्ताव प्रेषित किये गये थे। जिसमें से अंतिम रूप से केवल 14 राज्य 07 मंत्रालयों की झांकियों का चयन किया गया है। भारत सरकार में 29 राज्यों तथा 20 केन्द्र सरकार के मंत्रालयों द्वारा गणतंत्र दिवस परेड-2018 में झांकी के आयोजन हेतु अपने प्रस्ताव प्रेषित किए गए थे। झांकी चयन की एक लंबी प्रक्रिया है, जिसके तहत चरणबद्ध रूप से विषय का चयन, डिजायन का प्रस्तुतिकरण, थ्री-डी मॉडल एवं संगीत का प्रस्तुतिकरण विशेषज्ञ समिति के सम्मुख किया जाता है।
देवभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखण्ड में प्रकृति और संस्कृति के मनमोहक नजारे बिखरे पड़े हैं। उत्तराखण्ड ग्रामीण पर्यटन के विकास की दृष्टि से अत्यंत संभावनाशील राज्य है। इस शांत व सुरम्य पर्वतीय अंचल के ग्रामीण क्षेत्रों में लोक-जीवन, कला-संस्कृति और विरासत के अद्भुत और अद्वितीय आयाम पर्यटकों को बरबस अपनी ओर आकर्षित करते हैं। शहरों की भीड़भाड़ से दूर उत्तराखण्ड की शांत वादियां, यहां साफ-सुथरी आबो-हवा, विविधतापूर्ण विरासत और अतिथि सत्कार की समृद्ध लोक परंपरा ग्रामीण पर्यटन के दृष्टिकोण से उत्तराखण्ड को आदर्श गंतव्य के रूप में स्थापित करती हैं। इससे जहॉं स्थानीय समुदाय को आर्थिक व समाजिक रूप से लाभ होता है, वहीं पर्यटको को समृद्ध पर्यटन की अनूठी अनुभूति से साक्षात्कार का सुअवसर प्राप्त हो रहा है। पर्यावरण के प्रति संवेनदशील ग्रामीण पर्यटन के अंतर्गत सांस्कृतिक पर्यटन, प्राकृतिक पर्यटन और पारिस्थितकीय पर्यटन जैसे अनेकों आयामों को सम्मिलित करते हुए इसमें स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
महानिदेशक सूचना डॉ.पाण्डेय ने बताया कि उत्तराखण्ड में ग्रामीण पर्यटन के विकास के लिए प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य के अनेक गॉंवों में होम-स्टे योजना संचालित की जा रही है। गॉंवों में अवसंरचना के विकास तथा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के परिणाम उत्साहजनक हैं। इससे सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ही पलायन जैसी गंभीर समस्या से निपटने में भी मदद मिली है और रोजगार के नए व बेहतर अवसर प्राप्त हो रहे हैं। इन सब आयामों पर केन्द्रित राज्य की झांकी के अग्र भाग में काष्ठ कला से निर्मित भवन व पयर्टकों का स्वागत करते हुए पारम्परिक वेशभूषा में महिला व पुरूषों को दर्शाया गया है। झांकी के मध्य भाग में पर्यटकों के साथ पारम्परिक नृत्य, ग्रामीण परिवेश, जैव विविधता तथा पर्यटकों का आवागमन व झांकी के पृष्ष्ठ भाग में होम स्टे हेतु वास्तु शिल्प के भवन, योग-ध्यान व बर्फ से ढके पहाड़ को दर्शाया गया है।
ये हैं पूर्व में प्रदर्शित झांकियां :
देहरादून। डॉ.पाण्डेय ने बताया कि राज्य गठन से लेकर अभी तक उत्तराखण्ड द्वारा वर्ष 2003 में ‘फृलदेई‘, वर्ष 2005 में ‘नंदा राजजात, वर्ष 2006 में ‘फूलों की घाटी‘, वर्ष 2007 में ‘कार्बेट नेशनल पार्क, वर्ष 2009 में ‘साहसिक पर्यटन‘, वर्ष 2010 में ‘कुंभ मेला‘, वर्ष 2014 में ‘जड़ी-बूटी, वर्ष 2015 में ‘केदारनाथ‘ तथा वर्ष 2016 में ‘रम्माण‘ विषयां की झांकियों का प्रदर्शन राजपथ पर किया जा चुका है।
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