केले के रेशे से निर्मित सौख्यम रीयूसेबल पैड हर लिहाज से फायदेमंद: अंजू बिष्ट
केरल के माता अमृतानंदमयी मठ के मागदर्शन में बनाए जा रहे सौख्यम रीयूसेबल पैड, करीब 5 लाख महिलायों ने सराहा
डीबीएल संवाददाता / देहरादून।
महामारी के समय महिलाओं के इस्तेमाल किए जाने वाले रीयूसेबल पैड से बीमारी और पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिकी पर भी ज्यादा बोझ नहीं पड़ता है। यह बात केरल की माता अमृतानंदमयी मठ की अंजू बिष्ट ने गुरुवार को आयोजित एक प्रैसवार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि माता अमृतानंदमयी के मागदर्शन से सौख्यम रीयूसेबल पैड का इस्तेमाल कर रहीं बहनों ने इस पैड के फायदों को जमकर सराहा है।
देहरादून के एक होटल में आयोजित प्रैसवार्ता के दौरान माता अमृतानंदमयी मठ की अंजू बिष्ट ने बताया कि डिस्पोजेबल पैड पर डिआॅक्सिन जैसे खतरनाक पदार्थ पाए जाते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। एक डिस्पोजेबल पैड में तकरीबन 4 प्लास्टिक बैग जितना प्लास्टिक रहता है। उन्होंने बताया कि डिस्पोजेबल पैड को बनाने में सेल्यूलोज फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है जिसके लिए बेहिसाब वृक्षों की बलि दी जाती है। जबकि केले के रेशों और सूती कपड़े से निर्मित सौख्यम रीयूसेबल पैड में फल दे चुके केले के पेड़ से रेशों को लिया जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डाॅ रेनू जोशी ने इस दौरान बताया कि सौख्यम रीयूसेबल पैड का इस्तेमाल करने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है बल्कि पैड निर्माण के लिए प्लास्टिक पर रोक लगाने का यह शानदार विकल्प है। इसके इस्तेमाल से कई बीमारियों की संभावनाओं को कम किया जा सकता है।
हिमवैली सोशल फाउंडेशन की अध्यक्ष अनिता नौटियाल ने कहा कि उनकी संस्था उत्तराखंड में सौख्यम रीयूसेबल पैड के फायदों से स्कूली बच्चों और महिलाओं को जागरूक करने की मुहिम को संचालित कर रही है।