स्वच्छ भारत अभियान : लक्ष्य की दौड़ में दून के हालात
आइये ! आज अपने शहर देहरादून में स्वच्छ भारत अभियान की कामयाबी और नाकामयाबी पर गौर फरमाते हैं।
स्वच्छ भारत अभियान भारत सरकार द्वारा आरंभ किया गया राष्ट्रीय स्तर का अभियान है जिसका उद्देश्य गलियों, सड़कों तथा अधोसंरचना को साफ-सुथरा करना है। यह अभियान महात्मा गाँधी के जन्मदिवस 02 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आरंभ किया। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की नई दिल्ली, राजपथ पर शुरूआत करते हुए कहा था कि “एक स्वच्छ भारत के द्वारा ही देश 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर अपनी सर्वोत्तम श्रद्धांजलि दे सकते हैं। इस अभियान के अंतर्गत 2 अक्टूबर 2019 तक “स्वच्छ भारत” की परिकल्पना को साकार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत देहरादून में भी देश के अन्य शहरों की तरह पूरे जोरशोर के साथ हुई। सरकार का संकल्प और अभियान होने के कारण मुख्यमंत्री, मंत्री, नेता, सरकारी विभागों के आला अफसर सभी साफ-सफाई पसन्द होते नजर आए। जनता की बात की बात की जाए तो खुलेआम नदी-नालों में कचरा फेंकने की आदत में भी सुधार आने के आसार नजर आने लगे। शहर में रिस्पना, बिंदाल नदियों पर बने पुलों के दोनों ओर जालियां लगाकर लोगों की नदी में कूड़ा फेंकने की आदत पर लगाम लगाने की कवायद की गई, मगर इस पहल के साथ कूड़े के निस्तारण की व्यवस्था रफ्तार नहीं पकड़ पाई।
साफ-सफाई किसे पसन्द नहीं लेकिन कूड़े कचरे को अब फेंका कहां जाए यह एक बड़ा सवाल है। देहरादून नगर निगम की ओर से घर-घर से कूड़ा उठाने की स्कीम आज तक पटरी पर नहीं चल पाई है। बातचीत में तो हमेशा आम आदमी कूड़े के निस्तारण की समस्या पर नगर निगम को कोसता ही नजर आता है। शायद ही शहर का कोई विरला वार्ड या मोहल्ला होगा जहां हर दिन कूड़े की गाड़ी आती होगी।
स्वच्छ भारत अभियान के शुरूआती दौर में दून निगम की ओर से शहर में जगह-जगह कूड़ेदान रखे गए, लेकिन इन कूड़ेदानों से नियमित कूड़ा उठान की बीमार व्यवस्था आज तक परवान नहीं चढ़ पाई है। बात की जाए जनता की तो हॉंफते-गिरते वे इन कूड़ेदानों तक पहुंच तो जाते हैं मगर कूड़ेदान और उसके आसपास बदबूदार वातावरण में वो दूर से ही निशाना साधकर अपनी कूड़े की पन्नी को कूड़ेदान में पहुंचाना चाहते हैं जिसमें बहुत कम लोग सफल हो पाते हैं। यही वजह है कि शहर में रखे ज्यादातर कूड़ेदानों में न पहुंचकर कूड़ा और गंदगी आसपास बिखरी नजर आती है।
देश-दुनिया में देहरादून पढ़ेलिखे लोगों के शहर के रूप जाना पहचाना जाता है। स्वच्छ भारत अभियान के 2019 के लक्ष्य को पाने में शहर के वर्तमान हालात तो बेहतर नहीं लगते, लेकिन हां ! साफ-सफाई व्यवस्था को दुरूस्त बनाने के लिए दून नगर निगम समय रहते नींद से जाग जाए और यहां की जनता अपने शहर को स्वच्छ बनाने की मुहिम में सहयोग करे तो तय है कि आने वाली पीढ़ी को साफ आवोहवा में जीने का अनुकरणीय संदेश दिया जा सकता है।
पंकज भार्गव