पलायन एक पीड़ा : काबिले तारीफ है सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल सैंजी की पहल
पंकज भार्गव
एक ओर जहां सूबे की सरकार की ओर से पहाड़ से पलायन रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर पहाड़ के दूरस्थ गांवों में रहने वाले कुछ लोग पलायन की वजह और हकीकत को जानने के बाद अपने तरीके से पहाड़ के लोगों को अपनी जमीन और माटी से जोड़े रखने का भरकस प्रयास स्वयं के बूते पर कर रहे हैं। पौड़ी जिले के पाबौ ब्लाॅक में सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल सैंजी के संस्थापक शंभू प्रसाद खंखरियाल बिना किसी लोभ के सामाजिक और सांस्कृतिक स्वरूप को बचाने में जुटे हैं।
पलायन की एक बड़ी वजह है पढ़ाई-लिखाई :
पहाड़ के गांवों से पलायन के मुख्य कारणों में बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एक बड़ी वजह है। बच्चों के अभिभावक गांव के सरकारी स्कूलों में तेजी से गिरते शिक्षा के स्तर के कारण नजदीक के शहरों में अपन बच्चों को शिक्षित करने के लिए ना चाहते हुए भी अपना गांव छोड़ने को मजबूर हैं।
22 साल पहले करी शुरूआत :
सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल सैंजी की शुरूआत स्कूल के संस्थापक शंभू प्रसाद खंखरियाल ने 22 साल पहले करी थी। वर्तमान समय में स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं की संख्या 160 है। इस जूनियर हाईस्कूल में पढ़ रहे निर्धन, पिछड़े वर्ग, दिव्यांग और विधवा परिवार के बच्चों की स्कूल फीस में छूट देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़े जाने का प्रयास किया जा रहा है।
हिमालयन एकेडमी में कराई जाती है अलग से तैयारी :
सैंजी गांव में सिद्धार्थ पब्लिक स्कूल के संचालन के अलावा शंभू प्रसाद खंखरियाल प्रतियोगी परीक्षाओं और पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए ट्यूशन के लिए हिमालयन एकेडमी के माध्यम से शिक्षा की बयार को कायम रखे हुए हैं।
सरकार से सहयोेग की अपेक्षा :
शंभू प्रसाद खंखरियाल का कहना है कि गांव में गुणवत्ता परख शिक्षा न मिल पाने की अभिभावकों की मानसिकता को बदलना भी एक बड़ी चुनौती है। सुविधायुक्त स्कूल भवन और प्रशिक्षित शिक्षकों की सैलरी के लिए वह अपने स्तर से निरंतर प्रयासरत हैं। उनका यह भी कहना है कि यदि सूबे की सरकार पहाड़ के सरकारी स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों को भी प्रोत्साहन दे तो निश्चित तौर पर शिक्षा के कारण हो रहे पलायन पर रोक लग सकेगी।