(वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे विशेष): देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला प्रेस आज भी अपनी ‘स्वतंत्रता’ का कर रहा संघर्ष
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
आज हम बात करेंगे देश के उस चौथे स्तंभ की जिसकी स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी की जाती है लेकिन कभी वास्तविक अमल में लाया नहीं जाता है । सरकारों पर चौथे स्तंभ को दबाने के भी आरोप लगते रहे हैं । अब बात को आगे बढ़ाते हैं । आज 3 मई है। यानी प्रेस की स्वतंत्रता का दिन। आज ‘विश्व प्रेस अपनी स्वतंत्रता दिवस’ (वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम डे) मना रहा है। चाहे हालात कितने भी बदल गए हो लेकिन चुनौती और कठिनाइयों से भरी हुई है प्रेस की स्वतंत्रता। मौजूदा समय में भी अभिव्यक्ति की आजादी के लिए तमाम ‘बंदिशें’ लगी हुई हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को मानाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों का जश्न मनाने के साथ दुनिया भर में इसकी स्थिति का आकलन करना, साथ ही हमलों से मीडिया की रक्षा करना और उन पत्रकारों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिन्होंने कर्तव्य के चलते अपना जीवन खो दिया है। हर साल विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की ‘थीम’ बदल जाती है।
यूनिस्को ने इस साल 2021 में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘लोगों के अच्छे के लिए सूचना’ रखी है। मीडिया के सामने वर्तमान चुनौतियों के साथ-साथ शांति और सुलह प्रक्रियाओं के समर्थन करना है। दुनिया के किसी भी देश के उदय और उसकी प्रगति में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है। कोई भी देश पत्रकारों को अंदेखा कर तरक्की नहीं कर सकता है। भारत की आजादी के समय भी पत्रकारों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। दूसरी ओर भारत समेत आज कई देशों में प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का प्रयास किया जाता है।