संस्कृति एवं संभ्यता

नौगांव के पौंटी गांव में आषाढ़ मेले का आयोजन 17 जुलाई को – आयोजन के दौरान व बाद में शराब व मांस का सेवन रहता है प्रतिबंधित

पौराणिक शिव स्वरूप नाग देवताओं के आषाढ़ मेले के माध्यम से दिया जाएगा युवाओं को नशे की आदत से दूर रहने का संदेश

 कुलदीप शाह

नौगांव/उत्तरकाशी। रवांई घाटी स्थित उत्तकाशी जिले के नौगांव विकासखण्ड के पौंटी गांव में पौराणिक शिव स्वरूप नाग देवताओं के आषाढ़ मेले (श्रावण जातर) का आयोजन 17 जुलाई को किया जाएगा। मेले का आयोजन आर्यन सामजिक संगठन बड़कोट एवं विकासशील युवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय संस्कृति एवं सामाजिक सरोकारों के लक्ष्यों के तहत किया जाएगा। इस पुरातन मेले की मान्यता के तहत आयोजन के पहले और बाद में शराब एवं मांस का सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित रहता है।

आर्यन सामाजिक संगठन के प्रदेश सचिव एवं मेला समिति अध्यक्ष विनोद जैन्तवाण ने देवभूमि लाइव न्यूज पोर्टल के साथ बातचीत में बताया कि रवांई घाटी की सभ्यता एवं संस्कृति बेहद पौराणिक है। उन्होंने कहा कि यह बेहद चिंतन का विषय है कि बदलते समय के साथ आज पाश्चात संस्कृति हर ओर हावी हो रही है। उन्होंने कहा कि क्षेत्र की नयी पीढ़ी विशेषकर युवाओं का नशे का आदी बनना संस्कृति संरक्षण एवं सामाजिक व देश के विकास की दिशा में एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है।

जैन्तवाण ने कहा कि आषाढ़ मेले के आयोजन का उद्देश्य संस्कृति को भावी धरोहरों तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि आर्यन सामजिक संगठन युवाओं को नशे की लत से दूर रहने के लिए समय-समय पर होने वाले संगठन के आयोजनों के माध्यम से चेताने का कार्य करता रहता है। पुरातन आषाढ़ मेले की मान्यता के तहत आयोजन के 11 दिन पहले एवं बाद में शराब व मांस का सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित माना जाता है। मेले के माध्यम से युवाओं को नशे की आदत से दूर रहने का संदेश देने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि संगठन का प्रयास है कि आषाढ़ मेले के माध्यम से संस्कृति व सभ्यता के संरक्षण के साथ-साथ युवाओं को अपनी जड़ों से जुड़े रहने के लिए जागृत किया जाए। 17 जुलाई को क्षेत्र की संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने क्षेत्रवासियों से अधिक से अधिक संख्या में मेले में प्रतिभाग करने की अपील की है।

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