उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग ने बदला बुजुर्गों के लिए संचालित योजना का नाम
‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ की जगह ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना’ होगा नया नाम :
देहरादून। उत्तराखण्ड शासन के पर्यटन विभाग ने ‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ योजना का नाम ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना’ के नाम से संचालित करवाये जाने का निर्णय लिया है। साथ ही योजना में अन्य संसोधन किए जाने की बात कही गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड में पूर्व सरकार द्वारा संचालित की गई ‘मेरे बुजुर्ग मेरे तीर्थ’ योजना को वर्तमान सरकार ने ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय मातृ-पितृ तीर्थाटन योजना’ नाम दिए जाने का निर्णय लिया है। साथ ही इस योजना में कई संसोधन भी किए जाएंगे। जिसमें योजना के तहत पूर्व में निर्धारित बद्रीनाथ धाम, गंगोत्री धाम, नानकमत्ता व रीठा-मीठा साहिब, निजामुद्दीन औलिया के अतिरिक्त कलियर शरीफ (हरिद्वार), ताडकेश्वर (पौड़ी), कालीमठ (रुद्रप्रयाग), जागेश्वर (अल्मोड़ा), गैराड गोलू (बागेश्वर), गंगोलीहाट (पिथौरागढ़) आदि स्थलों को भी सम्मिलित किया जाएगा।
योजना के तहत अब 65 वर्ष या 65 वर्ष से अधिक आयु के इच्छुक वरिष्ठ नागरिकों में से यात्रा पर जाने वाले बुजुर्ग दम्पति में से पति अथवा पत्नी में से किसी एक की आयु 65 वर्ष से कम होने पर उन्हें भी यात्रा का सम्पूर्ण लाभ प्रदान किया जायेगा। योजना के अन्तर्गत जिन बुजुर्गों द्वारा आयकर रिटर्न नही भरा जाता है और उनके परिवार की आय के कोई विशेष साधन नही है, उन्हे ही इस योजना से लाभान्वित करने का निर्णय लिया गया है।
पर्यटन विभाग ने उप जिलाधिकारियों एवं खण्ड विकास अधिकारियों से अनुरोध किया है कि अपने क्षेत्रान्तर्गत ऐसे वरिष्ठ नागरिकों को जो उक्त वर्णित धामों एवं तीर्थ स्थलों में किसी एक धाम या तीर्थ स्थल हेतु चयनित कर शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर उनका चयन करें। चयनित बुजुर्गों का विवरण क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी कार्यालय को ई-मेल पर भी उपलब्ध करायें। वरिष्ठ नागरिकों को स्वास्थ प्रमाण पत्र के साथ आयु पहचान एवं स्थायी निवास की पुष्टि सम्बन्धी प्रपत्र भी आवेदन के साथ देना होगा। यात्रा पर जाने हेतु प्रथम आवत प्रथम पावत के आधार पर चयन किया जायेगा।
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