मुलाकात मेंहदी हसन जी से – 2
मेहंदी हसन जी से मेरी पहली मुलाकात तकरीबन 6 महीने पहले हुई थी जब वह अपने मवेशियों के लिए सिर पर घास चारा लेकर आ रहे थे। मैं साइिकल की सैर पर था और कुछ देर के विराम के लिए रुका था। दुआ सलाम हुई और मैंने आदतन उनसे उनके गांव और क्षेत्र के बारे में जानकारी जाननी चाही। बातचीत के दौरान उम्र को ढेंगा दिखा रहे मेंहदी हसन जी से मैंने मैंने उनकी खुशमिजाजी और अच्छे स्वास्थ्य के बारे सवाल किए। उस दिन बातचीत गहरी लेकिन संक्षिप्त ही हो पाई। शाम का धुंधलापन गहराने लगा था इस लिए हमने दोबारा मिलने का वायदा किया।
दिल से किया गया वायदा जरूर पूरा होता है। लंबे अंतराल के बाद मैं उनके निवास स्थान पर पहुंचा। उन्होंने मुझे देखते ही एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ मेरा स्वागत किया। कोरोना काल के दौरान गुजारे दिनों को लेकर बातचीत की शुरूआत हुई। वनौषधि और खानपान विषयों पर मेरे सवालों पर तजुर्बेकार मेंहदी हसन जी के जवाब मेरी समझ और नजर से सोलह आने सटीक लगे। मेंहदी हसन जी का घर तलाशने में मुझे ज्यादा तकलीफ इस लिए नहीं उठानी पड़ी क्यों कि उन्होंने बताया था कि उनके गांव के लोग उन्हें मुन्ना भाई के नाम से जानते हैं । लोगों से उनकी जानकारी लेते समय मुझे यह बात अच्छे से याद थी।
समय और पठन की सीमायों की मर्यादा ध्यान रखते हुए क्रमवार इस बातचीत को साझा करता रहूॅंगा।