‘मानव मूल्य और कानूनी दुनिया’ विषय पर सम्मेलन 11-12 अगस्त को – सीजेआई करेंगे उद्घाटन
देहरादून। प्रशांती निलायम 11 अगस्त और 12 अगस्त को सत्य साईं सेवा संगठनों द्वारा आयोजित महासम्मेलन आयोजित करने जा रहा है। इस सम्मेलन का विषय ‘मानव मूल्य और कानूनी दुनिया’ है। जिसमें न्यायविदों, न्यायाधीशों, कानून के दिग्गज आयेंगे। मानव अधिकारों और मूल्यों के महत्व को उजागर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय अध्यक्ष एनसीएलएटी और पूर्व न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ संवैधानिक अधिकारों और मानव मूल्यों पर विचार-विमर्श करेंगे। वहीं, मानव मूल्यों को आगे बढ़ाने में न्यायपालिका की भूमिका पर न्यायमूर्ति एनवी रमन, न्यायमूर्ति अमितव राय अपने विचार रखेंगे। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीबी राधाकृष्णन कानूनी पेशे में नैतिकता और संभाव्यता पर एक सत्र की अध्यक्षता करेंगे। मुख्य न्यायाधीश राधाकृष्णन की अध्यक्षता में पैनल में भारत के विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश होंगे। कार्यक्रम में एमएन आर वेंकटचलिया भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और श्री सत्य साइंर् विश्वविद्यालय के पूर्व चांसलर का सम्मान भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा इस सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
सम्मेलन में दुनिया में मानवाधिकारों और मूल्यों को बनाए रखने की उम्मीद जताई जायेगी। श्री सत्य बाबा ने जोर दिया है कि मानव जाति का उचित अध्ययन मनुष्य है। उनके सिद्धांत पांच ठोस खंभे यानी सत्य, धर्म, प्रेमा, शांति और अहिंसा पर आधारित हैं। उन्होंने मनुष्यों को भगवान के सर्वोच्च सृजन के रूप में माना और मानव मूल्य मनुष्यों का सार हैं और प्रत्येक व्यक्ति को न केवल इस अंतर्निहित दिव्यता को समझने का अवसर होना चाहिए बल्कि मानव उत्कृष्टता का खिलना भी होना चाहिए।
भारत के संविधान की प्रस्तावना हर भारतीय को जाति, रंग, पंथ, संप्रदाय और धर्म से परे मानव उत्कृष्टता में उत्कृष्टता प्राप्त करने की गारंटी देती है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जो अपने लोगों के लिए वरदान है और न्यायपालिका मानव मूल्यों का संरक्षक रहा है और न केवल भारत के नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को बनाए रखने और अपने नागरिकों के अधिकारों का विस्तार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।