गंगा व यमुना का संगम स्थल है गंगनानी

डीबीएल संवाददाता / गंगनाणी बड़कोट : देवभूमि उत्तराखण्ड में यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ बद्रीनाथ , के अलावा कई पौराणिक व धार्मिक तीर्थ स्थल ऐसे है जो पर्यटक मानचित्र पर अपनी जगह न बना पाने के कारण आज तक गुमनाम है । ऐसा ही एक पौराणिक स्थल है गंगनानी । बड़कोट से आठ किलोमीटर की दुरी पर यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग की बाईं ओर स्थित यह पवित्र स्थान है जहाँ गंगा व यमुना का प्रथम संगम होता है।
गंगनानी में माँ गंगा का एक पौराणिक मन्दिर व एक पवित्र कुण्ड भी है । कुण्ड में स्नान करके श्रद्धालु अपने पापो का प्रायश्चित करते है । लोगो के अनुसार इस स्थान की एक मान्यता भी है कि जो दम्पति यहाँ शादी करते है, वे दम्पति कभी सन्तान सुख से वंचित नही रह सकते । यहाँ आने जाने के लिए हर समय बड़कोट से जीप व बसे आसानी से उपलब्ध रहती है । इस स्थान पर पौराणिक समय से एक विशाल मेला भी लगता है । जो कुण्ड की जातर के नाम से जाना जाता है । यह मेला फागुन की 1 गती (14 फरवरी) से प्रारम्भ होता हैं यमुना नदी के बाये तट पर बसा यह पौराणिक स्थल बहुत ही मनोरम व नैसर्गिक सोंदर्य पूर्ण है । यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं के रहने खाने के लिए जिला पंचायत उत्तरकाशी द्वारा यहाँ पर आकर्षक शानदार हट बनाये गए है । जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी न हो । सरकार द्वारा एक अस्थाई हैलीपैड भी बनाया गया है । यहाँ वाहन द्वारा सीधे यहाँ पहुँचा जा सकता है ।
ये है मान्यता :-
यमुना नदी के तट पर स्थित मन्दिर यहां स्थित पौराणिक गंगा कुंड की स्थापना से जुडी एक अत्यंत पौराणिक कथा है। जिसका उल्लेख पूराणों मे भी है गंगनानी से कुछ ही दुरी पर स्थित थान गांव में श्री जमदग्नी ऋषि महाराज का प्राचीन आश्रम (मन्दिर) स्थित है । जहाँ श्री ज़मदग्नी ऋषि महाराज भगवान शिव की पूजा एवं माहमृत्यूंजय रुप के शिवलिंग पर गंगाजल से प्रतिदिन सुबह अभिषेक किया करते थे | श्री जमदग्नी ऋषि महाराज भगवान पर्शुराम जी के पिता माँ रेनुका के पति हैं जिनको चिरंजीवी माना जाता है इनको आकाशलोक मे स्थित सप्त ऋषि मण्डल मे स्थान प्राप्त है उन्हे गंगाजल लेने बेहद दूर बाडाहाट ( वर्तमान उत्तरकाशी ) जाना पड़ता था । लेकिन जब मुनीमहाराज बुजूर्ग अवस्था मे आये तो उन्होने भगवान भोलेनाथ की तपश्या कर अर्चना कि प्रभु मेरी वृद्वस्था को देखकर कुछ इस प्रकार की ब्यवस्था की करने का अनुरोध किया की हमेशा गंगा जल भरने के लिए उत्तरकाशी न जाना पड़े । उसके अगले ही दिन गंगनानी में एक जलधारा फुट पड़ी । जिसे माना जाता है कि ऐ जल धारा उत्तरकाशी के ताम्बा खानि से भूमिगत इस स्थान पर प्रकट हुई है । जिससे इस जगह का नाम गंगनानी पड़ा ।