अगस्त्यमुनि में गैरसैंण राजधानी की मांग को जनगीत के साथ निकाला जुलूस
रुद्रप्रयाग। गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग तेजी से जोर पकड़ रही है। स्थाई राजधानी के लिए राज्य आंदोलनकारी, युवा और विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग एक मंच में आने लगे हैं।
सेमवार को अगस्त्यमुनि में राज्य आंदोलनकारियों, युवाओं और विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने जन-मंथन संवाद में शामिल होकर अपनी राय दी। इस मौके पर सभी ने एक स्वर में कहा कि गैरसैंण राजधानी के लिए एक और बड़ी लड़ाई लड़ने की आवश्यकता है। संवाद कार्यक्रम के बाद अगस्त्यमुनि बाजार में जुलूस निकालकर जनगीत गाए गए।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि पहाड़ से पलायन रोकने और पहाड़ की संस्कृति के अस्तित्व के लिए गैरसैंण राजधानी बननी जरूरी है। गांव-गांव से इस आंदोलन में ग्रामीण महिलाओं और पुरूषों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी जरूरी है। वक्तओं ने यह भी कहा कि उत्तराखंड पिछले 17 सालों से स्थाई राजधानी के लिए तरस रहा है। गैरसैंण के लिए उठाया गया यह बीड़ा घर-घर पहुंचना चाहिए। गैरसैंण पहाड़ का स्वाभिमान है। उत्तराखंड आंदोलन की तर्ज पर इस आंदोलन को सफल बनाना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि आज विकास मैदानी क्षेत्रों तक ही सिमटकर रह गया है। राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि गैरसैंण के लिए वह एक बार फिर दो-दो हाथ करने के लिए तैयार हैं। गैरसैंण ही राजधानी क्यों, इस पर एक ड्राफ्ट तैयार किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोगों ने समय-समय बड़े आंदोलन किए हैं। साथ ही वक्ताओं ने कहा कि राज्य बनने के बाद पहाड़ के दस जनपदों में एक भी औद्योगिक इकाई स्थापित नहीं हो पाई है। पहाड़ के गांव के गांव खोली हो गए हैं। आने वाले समय में यही स्थिति रही तो पहाड़ सिर्फ नाम का रह जाएगा। छात्र नेताओं ने कहा कि छात्रों के बीच गैरसैंण को लेकर डिबेट करनी होगी। युवाओं के बलबूते यह लड़ाई जीती जा सकती है।
इस मौके पर हरीश गुसाईं, एडवोकेट प्यार सिंह नेगी, पुरूषोत्तम चन्द्रवाल, डी भट्ट, अशोक चौधरी, राजेन्द्र बडियाल, सुधीर रौथाण, शैलेन्द्र गोस्वामी, भूपेन्द्र सिंह नेगी, हैप्पी असवाल, विनोद राणा, अनसूया प्रसाद मलासी, कुलदीप राणा, नरेन्द्र भट्ट, प्रदीप सेमवाल, केपी ढौंडियाल, प्रबल सिंह नेगी, शत्रुघ्न सिंह नेगी, दीपक बेंजवाल, कालिका प्रसाद कांडपाल, जगदीश सिंह बुटोला, रमेश नेगी, योगेश नेगीमोहित डिमरी आदि मौजूद थे।
Key Words : Uttarakhand, Rudraprayag, Agastyamuni, Demand, Capital, Garsann