दस्ताने :
पंकज भार्गव
लेपसॉग तिब्बती समुदाय के उन लोगों में से हैं जो बौद्ध धर्म की शिक्षाओं के सच्चे अनुयायी हैं। उनका मानना है कि दुनिया दुःख और कष्टों से भरी है, यदि ऐसे में हम किसी के मददगार बन सकें तो यही सच्ची मानव सेवा है। उस दिन जंगल वॉक करते वक्त लेपसॉग का एक दस्ताना काफी खोजने के बाद भी नहीं मिल पाया। उंगलियों में सर्दी की ठिठुरन को महसूस करने के बाद उन्होंने कष्ट को महसूस किया और वह उन लोगों के बारे में सोचने लगे जिनके ठिठुरने वाली सर्दी में तन ढकने तक के लिए कपड़े नहीं होते हैं।
चलते-चलते अचानक रास्ते में उन्हें एक और बेमेल दस्ताना पड़ा दिखाई दिया। उन्होंने अपने एक हाथ में बचे दस्ताने को उस दस्ताने के साथ सड़क के किनारे इस सोच के साथ रख दिया कि शायद सर्दी के मौसम में ये दस्ताने किसी जरूरतमंद के काम आ सकेंगे। असीम आनन्द की तृप्तता लिए लेपसॉग अपने सफर में आगे बढ़ चले।