जंगलों को मैदान बना रहे भू-माफिया
दून की आवोहवा एक समय हर किसी को यहां आने का न्यौता देती थी, लेकिन आज बढ़ती आबादी और हर किसी की हरियाली के पास आशियाना बनाने की प्रबल इच्छा का ही परिणाम कहा जा सकता है कि अब दून की खूबसूरती कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गई है। आवास बनाने के लिए मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के निर्धरित मानकों की भू-माफियाओं ने किस कदर धज्जियां उड़ायी हैं उसका नजारा शहर के हालात बखूबी बयां कर रहे हैं। बेखौफ भू-माफिया जंगलों को काटकर जेसीबी और अन्य मशीनों से जंगलों को मैदान बना रहे हैं। दून की सिसकती बचीखुची हरियाली और जंगलों पर भी भू-माफियाओं की गिद्ध दृष्टि हर समय लगी है उन्हें बस मौके की तलाश है। ऐसे हालातों में दून की भावी पहचान क्या होगी इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
पर्यावरणविद् और जानकारों के अनुसार जंगलों में लगने वाली आग के कारणों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार मानवीय गतिविधियां हैं। साल 2016 में उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से 2, 552 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल खाक हो गए। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ सहित सेना के हेलिकाप्टरों को भी इस आग पर काबू पाने के लिए झोंका गया था। इस वनाग्नि ने सूबे सहित पूरे देश को झंझोर कर रख दिया था। जंगलों के निकट मानवीय गतिविधियों में आई तेजी के चलते जंगलों के अस्तित्व के साथ जंगली जानवरों और पक्षियों के वजूद पर भी खतरा मंडराने लगा है।