पंचायती राज विभाग की ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कार्यशाला में सिखायेंगे पंचायतों की डीपीआर बनाना
देहरादून। पंचायतीराज विभाग द्वारा जूनियर अभियन्ताओं के लिए आयोजित ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की डीपीआर निर्माण विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का दीप प्रज्जवलित कर पंचायतीराज निदेशक एससी सेमवाल ने उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पंचायतों के लिए उत्तराखण्ड ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नीति 2017 बनाई गयी है। इसके क्रियान्वयन के लिए पंचायतीराज विभाग द्वारा चरणबद्ध रूप से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों, कार्मिकों का क्षमता विकास किया गया है। नीति के अनुसार ग्राम पंचायतों में डीपीआर तैयार निर्माण किया जाना है जिसमें जूनियर अभियन्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।
इस अवसर पर विषय विशेषज्ञ के रूप में विपिन कुमार ने बताया कि डीपीआर का निर्माण सहभागिता के आधार पर तैयार किया जाना जरूरी है इसके लिए पहले गांव स्तर पर वातावरण का निर्माण, संसाधनों का आंकलन एवं वहां समस्याओं को समस्याओं का चिन्ह्ति कर डीपीआर का निर्माण किया जाना चाहिए।
वित्त कंटोलर प्रमिला पैन्यूली ने कहा कि ग्राम पंचायतों को अपनी आय विकसित करनी होगी उन्होंने राज्य के केन्द्र से मिलनी वाली निष्पादन ग्रान्ट के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की गतिविधियां आयोजित की जानी है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के अवसर पर सयुक्त निदेशक डीपी देवराड़ी ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की सूचनाओं के संकलन के लिए एमआईएस विकसित किया जा रहा है साथ ही रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुये डीपीआर का निर्माण करना,मनरेगा की कार्ययोजना में डीपीआर के कार्यो को प्रख्यापित करना, मनेरगा, 14वे वित्त आयोग के बेसिक ग्रान्ट एवं स्वजल आदि के के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्यो को क्रियान्वित किया जाना है।
सहायक निदेशक मनोज तिवारी ने बताया कि प्रथम चरण में 1105 पंचायतों में 31 मार्च तक डीपीआर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
आईआरडीटी सर्वेचौक स्थित सभागार में उत्तराखण्ड के प्रत्येक विकास खण्ड से 3 अभियन्ताओं, एवं ग्राम पंचायतों में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन पर कार्य करने वाले मास्टर ट्रेनर विजय पंवार, सुबोध गोयल, इमरान खान सहित सतपाल राणा, यशवीर रावत, मेधा, कुसुम, अन्तरा, प्रदूमन सहित करीब 300 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।