महिला सशक्तिकरण: प्रेरक कहानियां (02)
बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ को चिरतार्थ कर रहीं सलेन्द्रो देवी
हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के खुशी महिला स्वयं सहायता समूह की प्रधान सलेन्द्रो देवी बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के सपने को चरितार्थ कर रही हैं। सलेन्द्रो कहती हैं कि साल 2019 में आजीविका मिशन के समूह से जुड़ने के बाद अपनी बचत से वह घर खर्च में भी सहयोग कर रही हैं। अपने अतीत के बारे में बताते हुए सलेन्द्रो देवी कहती हैं कि उनकी चार बेटियां हैं। रूढ़ीवादी परिवार में विवाह होने के चलते दो बेटियां होने के बाद उन पर बेटा जनने का दवाब बनाया गया। उनके ना चाहते हुए भी उन्हें दो बार फिर से मातृत्व के कष्ट को झेलने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने बताया कि इस दौैरान सुसराल पक्ष और उनके पति ने उन्हें लिंग जांच करवाने के लिए भी कहा लेकिन सलेन्द्रो देवी ने मजबूती के साथ इस बात का विरोध किया। वह कहती हैं बेटी होना क्या अपराध है ?
सबसे बड़ी बेटी की शादी के लिए सलेन्द्रो की अपने समूह में जमा बचत की धनराशि सहारा बनी। अपनी दूसरी बेटियों को पढ़ा लिखा कर कर काबिल बनाने में जुटी सलेन्द्रो कहती हैं कि परिवार और गांव की जो महिलायें उन्हें बेटियां जनने का ताना देती थीं आज वे सब उन्हें कहती हैं कि हमारे बेटों से तो तेरी बेटियां अच्छी हैं जो बिना मागदर्शन के ही पढ़ाई में अव्वल नंबर लेकर आगे बढ़ रहीं हैं।
सलेन्द्रो कहती हैं बेटियों होने के अभिशाप को बदलने के लिए हम समूह की सभी बहनें और बहनों को भी जागरूक करती रहती हैं। उनका कहना है कि वह दिन दूर नहीं जब लोगों की सोच बदलेगी।