एग्जाम से पहले अंग्रेजी स्कूल का यह कैसा फरमान ! ‘‘बैनर हमारा पढ़ाई और बच्चा तुम्हारा’’

पंकज भार्गव :
दून के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में इन दिनों फाइनल एग्जाम का दौर जारी है। इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ उनके अभिभावकों पर भी इस बात का सीधा असर देखा और महसूस किया जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि बच्चे के एडमिशन के समय अभिभावकों को दिवास्वप्न दिखाने वाले इन स्कूलों ने एग्जाम शुरू होने से चंद दिनों पहले एक नया फरमान जारी कर अभिभावकों का ब्लड प्रेशर भी बढ़ा दिया है।
शहर के एक नामी स्कूल में पढ़ रहे बच्चों के ऐसे कई अभिभावक हैं जिन्होंने स्कूल व स्वयं का नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर दुःखी मन से यह बात साझा करी है कि स्कूल के शिक्षकों ने हाल ही में पीटीए मीटिंग के दौरान उनके जूनियर क्लास में पढ़ रहे बच्चे के फाइनल एग्जाम में 40 फीसदी और सीनियर क्लास में 80 फीसदी से कम अंक आने पर बच्चे को क्लास रिपीट करवाये जाने का अल्टीमेटम दे डाला है। शिक्षकों ने अभिभावकों को कहा है कि अब बच्चे की पढ़ाई पर आप पूरा फोकस करिए। जबकि अभिभावकों ने स्कूल की शिक्षा प्रणाली की खातिर अपने बच्चे को इस स्कूल में सारे मंत्र-तंत्र लगाकर एडमिशन दिलवाया था। अब हालात ऐसे हैं कि ‘‘बैनर हमारा पढ़ाई और बच्चा तुम्हारा’’। पहले से बच्चे को स्कूल छोड़ने-लाने की खातिर दिन का चैन गंवा रहे अभिभावकों की रात की नींद का भी उड़ना तय मानिये।
यह बात भी सोलह आने सही है कि इस स्कूल में बहुत से ऐसे अभिभावक भी हैं जिन्होंने बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा रखा है। दर्द इस बात को और बढ़ाने वाला है कि शायद ही कोई विरला अभिभावक होगा जिसने अपने बच्चे के भविष्य को लेकर कोई सपना न सजा रखा होगा।
लाजमी है कुछ सवालों का उठना :
क्या सारे बच्चों का पढ़ाई का स्तर एक समान हो सकता है ? यदि कोई बच्चा पढ़ाई में कमजोर है तो क्या स्कूल के शिक्षकों को ऐसे बच्चों पर ज्यादा समय नहीं देना चाहिए था ? क्या एग्जाम से ठीक पहले इस तरह के फरमान से सभी अभिभावकों और बच्चों पर सकारात्मक असर पड़ेगा ? शिक्षा विशेषज्ञों की तो हमेशा यही राय रही है कि एग्जाम से पहले बच्चे पर पढ़ाई का ज्यादा प्रेशर बनाना कतई सही नहीं है।
यदि इस मुद्दे पर आपके कोई सवाल या सुझाव हों तो 9412914394 मोबाइल नंबर पर साझा करिये ।