‘भगवद् गीता सेइंग इट द सिम्पल वे’ का अनावरण-पुस्तक की उपयोगिता पर लेखक विजय सिंगल ने साझा किए विचार
डीबीएल संवाददाता/देहरादून। हिन्दी एवं अंग्रेजी में सामाजिक सरोकारों व आस्था से जुड़े विषयों पर कई विख्यात पुस्तकों के लेखक विजय सिंगल की नई कृति ‘भगवद् गीता सेइंग इट द सिम्पल वे’ का अनावरण सोमवार को दून एक होटल में किया गया। इस अवसर पर विजय सिंगल ने पुस्तक की उपयोगिता पर अपनी बात साझा की।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भगवद् गीता में व्याप्त जीवन के उद्देश्य, मानव अस्तित्व, भौतिक उपलब्धियों और आध्यात्मिक संतुष्टि आदि का ज्ञान व अनुसरण बेहद अहम् जरूरत है, जिसके लिए उन्होंने अपनी पुस्तक में हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में बेहद सरलता के साथ वर्णित किया है।
‘भगवद् गीता-सेइंग इट द सिम्पल वे’ के अनावरण के अवसर पर लेखक विजय सिंगल ने बताया कि उन्होंने भगवद् गीता के श्लोकों को बेहद सरल भाषा में तब्दील कर प्रयास किया है कि आमजन व भावीपीढ़ी तक यह संदेश पहुंच सके। अर्जुन को अपना कर्तव्य निभाने की शिक्षा देते हुए भगवत् गीता में भगवान कृष्ण ने आत्म-साक्षात्कार के कई तरीकों का वर्णन किया है, जैसे कि कर्म योग, ज्ञान योग, ध्यान योग आदि। हालांकि, उनके अनुसार, पथ बहुत ही आसान और प्रभावी है और वह है भक्ति या भक्ति योग। ईश्वर के समक्ष पूर्ण समर्पण से ही वास्तविक मानसिक शांति प्राप्त होती है।उन्होंने कहा कि गीता का संदेश किसी एक वर्ग विशेष के लिए नहीं है, वरन् इसकी शिक्षाएं सभी पर समान रूप से लागू होती हैं, भले ही कोई किसी भी लिंग, जाति या संप्रदाय का हो।
सिंगल ने अपनी एक अन्य चर्चित पुस्तक ‘गंगा ए डिविनिटी इन फ्लो’ के नये संस्करण को लेकर मिली सराहनीय प्रतिक्रियाओं पर पाठकों का आभार जताया। उन्होंने यह भी कहा कि आस्था व सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेखन को व्यावसायिक नजरिए से लेते हुए केवल आमजन में जागरूकता का प्रसार करना चाहते हैं।
खूब सराही गईं गंगा ए डिविनिटी इन फ्लो और स्पार्कलिंग पंजाब :
पंजाब के मलेर कोटला, जिला संगरूर, में 1951 में जन्मे, विजय सिंगल 1976 में भारतीय राजस्व सेवा में शामिल हुए। वे देहरादून में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। वे नेशनल डिफेंस काॅलेज के पूर्व छात्र हैं। वर्ष 2010 में वे मुंबई में आयकर विभाग के चीफ कमिश्नर के पद से सेवानिवृत्त हुए। विजय सिंगल आध्यात्मिकता, दर्शन, मनोविज्ञान, धर्म और संस्कृति के क्षेत्र में कई किताबें लिख चुके हैं। वे हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखते हैं। उनकी पहली किताब, बिहाइंड साइकोलाॅजीः सर्चिंग फाॅर द रूट्स का प्रकाशन वर्ष 2002 में हुआ था। तब से, इन विषयों पर वे कई किताबें लिख चुके हैं। अतुल भारद्वाज के साथ मिलकर, दो काॅफी टेबल बुक्स की रचना कर चुके हैं- गंगा: ए डिविनिटी इन फ्लो और स्पार्कलिंग पंजाब खूब सराही गई हैं।।