संस्कृति एवं संभ्यता

आस्था : … तो द्वापर युग की धरोहर है पैठाणी का शिव मंदिर

पंकज भार्गव

देवभूमि उत्तराखंड राज्य की संस्कृति ही नहीं अपितु यहां की आस्था और मान्यतायें भी दुनिया भर से अनूठी हैं। अराध्य देवी-देवताओं के मंदिर उन्हें पूजने के तरीके और धर्म के प्रति समर्पण भी यहां दर्शनीय है। राज्य के जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकासखंड थलीसैंण स्थित पैठाणी का शिव मंदिर अपने आप में कई मान्यताओं को संजाये हुए है।

पैठाणी शिव मंदिर समिति के दिलवर सिंह कंडारी का कहना है कि भगवान शिव का यह मंदिर द्वापर युग मंे पांडवों ने बनाया था। पांडव अपने वनबास के दौरान इस स्थान पर आए थे। राहू नाम का राक्षस से अपने प्राणों की रक्षा के लिए उन्होंने इस स्थान पर भगवान शिव के मंदिर का निर्माण कर उनकी पूजा अर्चना की थी। पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने एक पत्थर की शिला के नीचे राहू को दबा दिया था। पूर्वी और उत्तरी नयार नदी के संगम स्थल पर एक भीमकाय पत्थर की शिला आज भी मौजूद है जिसे राहू शिला के नाम से जाना जाता है।

कुछ स्थानीय लोगों लोगों ने बताया कि पैठाणी के इस शिव मंदिर का निर्माण पांडवों ने एक रात्रि की समयावधि में ही कर दिया था।

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