पलायन रोकने के लिए छात्रों का कौशल विकास अहम : डॉ. पाल
देहरादून। राज्यपाल डॉ. कृष्ण कांत पाल, ने सोमवार को कुलाधिपति के रूप में उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि राष्ट्र निर्माण तथा समाज को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालयों का लक्ष्य होना चाहिए कि वे भारतीय संस्कृति की अधार शिला पर युवाओं की प्रतिभा, जोश और रचनात्मक शक्तियों को मानवीय मूल्यों व वैज्ञानिक सोच से पोषित करके उन्हें प्रोत्साहित करें।
प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले तथा अन्य कारणों से नियमित कक्षाओं में प्रवेश लेने में असमर्थ प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति की उच्च शिक्षा तक आसान पहुँच बनाना विश्वविद्यालय का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ ही राज्य की भौगौलिक परिस्थितियों, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि एवं स्थानीय आवश्यकताओं तथा विभिन्न क्षेत्रों की मांग के अनुरूप समय-समय पर पाठ्यक्रमों में बदलाव कर विद्यार्थियों का कौशल विकास करके उन्हें स्वरोजगार व रोजगार हेतु सक्षम बनाने के लिए भी विश्वविद्यालय को गम्भीरता से कार्य करना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय सूचना एवं संचार की सभी आधुनिक तकनीकां का उपयोग करके उन सभी जरूरत मन्दों और जिज्ञासुओं को दूरस्थ शिक्षा पद्धति से लाभान्वित करे जो अपरिहार्य कारणों से औपचारिक पद्धति से उच्च तकनीकी शिक्षा पाने में अभी तक असमर्थ हैं। दूरस्थ शिक्षा प्रणाली में ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज की विशेष उपयोगिता है। इसके माध्यम से कम से कम समय में गुणवत्तापूर्ण कौशल आधारित अध्ययन सामग्री का विकास और निर्माण में मदद मिल सकती है।
राज्यपाल ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के नव भारत निर्माण के संकल्प को मूर्त रूप में देने के लिए विश्वविद्यालय और छात्रों की विशेष भूमिका निभानी है। उन्होंने विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह के निमन्त्रण पत्र पर ‘स्वच्छ भारत‘ का प्रतीक अंकित किये जाने पर प्रसन्नता जाहिर की।
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