किताबों की खरीद पर मनमानी की तो होगी स्कूल की मान्यता रद्द
देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार ने सरकारी व पब्लिक स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों की अनिवार्यता को लागू करने के साथ ही प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों पर रोक लगा दी है। सरकार के इस रूख के खिलाफ प्राइवेट पब्लिशर्स ने हाईकोर्ट की शरण ली है। कोर्ट ने सरकार से मामले में जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को होगी।
मिली जानकारी के अनुसार सूबे के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इस बार किसी भी सूरत में प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबें स्कूलों में नहीं चलने दी जाएंगी। शिक्षा मंत्री पांडे ने कहा कि अप्रैल से शुरू होने वाले नए शिक्षा सत्र में प्रदेश के सभी स्कूलों में एक से 12वीं तक एनसीईआरटी की किताबें हर हाल में लागू की जाएंगी। शिक्षा विभाग ने एनसीईआरटी की पुस्तकें शुरू कराने के लिए विशेष योजना तैयार की है।
शिक्षा मंत्री ने कहा है कि अगर किसी स्कूल ने मनमानी की तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी। पांडे ने अभिभावकों से अपील करते हुए कहा कि यदि पब्लिक स्कूल निजी प्रकाशकों की पुस्तकें खरीदने का दबाव बनाएं तो उसका विरोध करें और स्कूल की शिकायत शिक्षा अधिकारी या सीधे शिक्षा मंत्री कार्यालय में करें।
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