सख्सियत : डाॅ एस.एस. ग्रेवाल रिटायर्ड हैं पर टायर्ड नहीं !
पंकज भार्गव
नौकरी और व्यवसाय करने वाले लोग अक्सर एक उम्र के बाद खुद को रिटायर्ड मानकर परिवार में बच्चों के साथ निर्भरता या फिर एकल जीवन जीवन जीने की राह पकड़ लेते हैं। इसके विपरीत खुद के जीवन के अनुभवों को साझा कर नई पीढ़ी को राह दिखाने वाले बहुआयामी प्रतिभावान कुछ गिनती के लोग समाज में मागदर्शी की भूमिका का निर्वहन करते नजर आते हैं। ऐसी ही एक सख्सियत हैं वरिष्ठ सीनियर साइंटिस्ट डाॅ एस.एस. ग्रेवाल।
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी लुधियाना के डायरेक्टर पद से सेवानिवृत्त डाॅ एस.एस. ग्रेवाल साॅइल कन्जर्वेशन डिपाडमेंट में सीनियर साइंटिस्ट के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। सरकारी विभाग में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं देने के बाद आज बहुप्रतिभा के धनी डाॅ ग्रेवाल समाज के विभिन्न घटकों में अपने अनुभवों को साझा कर मागदर्शी बने हुए हैं। डाॅ ग्रेवाल बतौर स्पेस (सोसाइटी फाॅर प्रमोटिंग एंड कन्जर्वेशन आफ एनवायरमेंट) के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण आदि मुद्दों के अलावा समय मिलने पर डाॅ ग्रेवाल गांव के स्कूलों में जाकर बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देकर सामाजिक सरकोरों के प्रति अपने दायित्वों को बखूबी निभा रहे हैं। उम्र के एक पड़ाव पर आकर खुद को दीनहीन मान लेने की परिभाषा को नाकार साबित कर रहे डाॅ ग्रेवाल अपना परिचय देते हुए यह कहते हैं कि हम रिटायर्ड तो जरूर हो गए हैं लेकिन टायर्ड नहीं हुए हैं।