प्रेरणाश्रोत: 70 रुपए की मजदूरी करने वाले महाबल सिंह अब सालाना कमा रहे पांच लाख
राकेश चौहान / सहिया
सूबे के देहरादून जिले में चकराता ब्लॉक के समोग गांव निवासी महाबल सिंह नेगी ने खेतीबाड़ी को रोजगार का जरिया बनाकर मिसाल पेश की है। 15 साल पहले हिमाचल प्रदेश में एक सेब के बगीचे में 70 रुपए की मजदूरी में काम करने वाले महाबल आज अपनी पुश्तैनी जमीन पर कास्तकारी का काम कर सालाना करीब पांच लाख रुपए की आमदनी जुटा रहे हैं। मजदूर से मालिक बनने के इस संघर्ष और मेहनत को पहाड़ों को काटकर सड़क बनाने वाले दशरथ मांझी से कम नहीं आंका जा सकता है।
महाबल सिंह ने जाखड़ गांव में बंजर पड़ी अपने पूर्वजों की जमीन पर कुछ साल पहले बागवानी और सब्जी उत्पादन का काम शुरू किया। उनका कहना है कि वह हिमाचल प्रदेश के रोहडू में सेब के बगीचे में 70 रुपए में दैनिक मजदूरी करते थे। 2010 में उन्होंने अपनी बंजर जमीन को आय का जरिया बनाने का मन बनाया। वह बताते हैं कि क्वांसी के पास जाखधार में बंजर पड़े पुश्तैनी खेतों को आबाद कर उन्होंने सब्जी उत्पादन और बागवानी का काम शुरू किया। सब्जी और फलों की पैदावर से उन्हें हुई कमाई ने उनके हौसलों को नई राह दी। स्थानीय बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने के साथ ही सालाना लाखों की कमाई कर रहे महाबल आज अपने भविष्य को लेकर बड़े सपने भी देखने लगे हैं।
महाबल के खेतों में सब्जी उत्पादन में टमाटर, राजमा, लौकी के अलावा रोपे गए आम, अमरूद, कीवी, संतरा, कटहल, नींबू जैसे फलों के पेड़ भी उनकी आय का जरिया बन गए हैं। महाबल सिंह का कहना है कि सूबे के युवा खेतीबाड़ी और बागवानी के जरिये बेरोजगार होने के कलंक से मुक्ति पा सकते हैं। इस पहल से सूबे में खाली हो रहे गांव से पलायन के दंश पर भी रोक लगेगी।