बिना पगार वाली योग शिक्षिका ‘जोशी मैडम’
ooo पंकज भार्गव
सरकारी मुलाजिम बनने के बाद ज्यादातर यही देखने में आता है कि कर्तव्य निष्ठा पगार के आगे बौनी होती जाती है। कुछ विरले लोग ही अपने कर्तव्यों को अंजाम देकर अपने विभाग और संस्थान की साख को जीवित रखते हैं। वहीं समाज में कुछ ऐसी सख्सियतें भी हैं जो गैरसरकारी होते हुए भी बिना किसी लालच के निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों को अंजाम देने में जुटे हैं।
यदि कभी आप रायपुर ब्लॉक का कंडोली स्थित सरकारी जूनियर हाईस्कूल के पास से गुजरें तो कुछ देर जरूर रूकें! कारण है स्कूल के बच्चों को योगासनों और धार्मिक, सांस्कृतिक सरोकारों की समझ को देखना और महसूस करना। इस पूरी मुहिम के पीछे जहां शिक्षकों की मेहनत तो नजर आती है, वहीं इस कठिन राह को सरल बनाने में सेवाभाव से जुटी हैं श्रीमती जानकी जोशी मैडम।
जीवन के अंतिम पड़ाव की यात्रा कर रहीं सहस्त्रधारा रोड निवासी रिटायर्ड सरकारी अफसर की पत्नी जोशी मैडम का आत्मविश्वास देखते ही बनता है। अर्न्तआत्मा की आवाज को अपनी प्रेरणा बताते हुए जोशी मैडम कहती हैं कि बच्चे बहुप्रतिभावन होते हैं। बस ! जरूरत उन्हें सही दिशा दिखाने की होती है। बीते करीब 4 साल से सप्ताह में एक बार जोशी मैडम इस स्कूल में लगातार आ रही हैं। पढ़ाई के बाद के समय में वह छात्रों को योगासन के साथ संस्कारों की सीख देने का काम करती हैं।
जोशी मैडम का छात्रों को साफ-सफाई के लिए प्रेरित करने का तरीका भी बेहद निराला है। कक्षाओं में बिखरे बेकार और रफ कागजों को एकत्र करवाकर वह छात्रों को उन पर धार्मिक नाम लिखने का संदेश देती हैं। उनके बैग में इस तरह के सैकड़ों कागज जमा हैं जिनमें धार्मिक समभाव भी झलकता है। छात्रों ने राम, गणेश, शंकर भगवान सहित 786 भी कई बार दोहरा कर लिखा हुआ है। जोशी मैडम कहती हैं इससे जहां बच्चों की हैंडराइटिंग में सुधार आएगा वहीं वह रफ कागजों को इधर-उधर फेंकने की जगह उनका इस्तेमाल करना सीख गए हैं।
प्रेरणाश्रोत बात यह है कि जहां आज लोग प्रतिष्ठा पाने के लिए कई तरह के आडंबरों का इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं वहीं जोशी मैडम बिलकुल भी यह नहीं चाहतीं कि उनके इस कार्य के लिए उन्हें किसी तरह का सम्मान या प्रसिद्धि मिले। स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि जोशी मैडम कई अन्य स्कूलों में भी छात्रों को योग और संस्कार की शिक्षा देने का कार्य कर रही हैं, लेकिन उनसे पूछने पर वह इस बात को बिलकुल भी तुल्य नहीं देना चाहतीं ना ही उन्हें किसी तरह का प्रलोभन है। जोशी मैडम तो बस यही बात दोहराती हैं कि छात्र योग के माध्यम से जहां स्वस्थ रहने का मंत्र सीख रहे हैं वहीं एकाग्रता मंजिल पाने के लक्ष्य में उनकी सबसे बड़ी सहयोगी साबित होगी।
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