दून में शिक्षा निदेशालय और सीईओ दफ्तर में की तालाबंदी
देहरादून। राजकीय शिक्षक संघ ने अपनी मांगों पर कार्रवाई न होने के चलते मंगलवार को शिक्षा निदेशालय और मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालयों पर तालाबंदी कर दी। निदेशालय में तालाबंदी के बाद संघ के आह्वान पर पूरे प्रदेश में पदाधिकारियों का आमरण अनशन शुरू हो गया है।
गौरतलब है कि विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षक 21 जुलाई से निदेशालय में क्रमिक अनशन कर रहे हैं। इस दौरान एडी बेसिक वीएस रावत के सामने शिक्षकों ने अपना पक्ष रखा। संघ का कहना है कि पिछले दो साल से इन मांगों को लेकर राज्य सरकार उन्हें टरका रही है। अब सरकार संघ से वार्ता करने से बच रही है। उत्तराखंड शिक्षक, कार्मिक, आउटसोर्स मोर्चा, एजुकेशनल मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ, और जूनियर शिक्षक संघ ने आमरण अनशन को समर्थन दिया है।
संघ अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी की अध्यक्षता में शिक्षक नेताओं ने बैठक आयोजित कर मंगलवार के आंदोलन की रणनीति तय की थी। महामंत्री डा. सोहन सिंह माझिला ने बताया कि सरकार व विभाग की घोर उपेक्षा के चलते 21 जुलाई से चल रहे क्रमिक अनशन पर कोई कार्यवाही न होने पर आमरण अनशन शुरू किया गया है। उन्होंने बताया कि आन्दोलन की रणीनिति के अनुसार सभी जिला पदाधिकारियों ने अपने-अपने जिलों के मुख्य शिक्षा अधिकारी कार्यालयों पर तालाबंदी की है।
शिक्षक नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार उनके आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है, लेकिन वह किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। एजुकेशनल मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने भी शिक्षकों के आंदोलन को समर्थन देने की बात कही है।
तालाबंदी करना हर तरीके से गलतः आरके कुंवर
देहरादून। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने राजकीय शिक्षक संघ अध्यक्ष कमल किशोर डिमरी और महामंत्री डा. सोहन सिंह माझिला को पत्र जारी कर तालाबंदी को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की ज्यादातर मांगों पर पहले ही सहमति बन चुकी है। मांगों को पूरा करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। निदेशक ने कहा कि राज्य के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। संघ के आंदोलन के कारण पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसलिए शिक्षकों को छात्र हित में क्रमिक अनशन समाप्त कर तुरंत विद्यालयों में लौटकर पठन-पाठन कार्य में जुटना चाहिए।