‘‘नन्दा तू राजी खुशी रैयां’’- गरीब बालिकाओं को टीबी की बीमारी से निजात दिला रहीं हेमलता बहन

देहरादून। देश में टीबी की बीमारी के सम्पूर्ण खात्मे को लेकर 2025 तक का लक्ष्य रखा गया है। बीते दिनों उत्तराखंड में इस बीमारी के समूल नाश के लिए नई इलाज की पद्धिति ‘डेली रेजीम फॉर टीबी ट्रीटमेंट’ को भी लॉच किया गया। सूबे के स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में अभियान चलाया हुआ है। टीबी के खात्मे के इस अभियान में सामाजिक सरोकारों से जुड़ी संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा भी मुहिम चलाकर स्वास्थ्य विभाग को अपना सराहनीय योगदान दिया जा रहा है।
दून के गुमानीवाला की निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं डॉट्स कार्यकर्ता हेमलता बहन ने मलिन बस्तियों, झुग्गी झोपड़ियों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाली गरीब बालिकाओं को टीबी के रोग से मुक्त बनाकर स्वस्थ बनाने की सराहनीय मुहिम चलाई हुई है। ‘‘नन्दा तू राजी खुशी रैयां’’ नाम से चलाई जा रही उनकी इस मुहिम के तहत अभी तक 61 बालिकाओं को टीबी के प्रकोप से पूरी तरह से मुक्त कर उन्हें स्वस्थ्य बनाया जा चुका है।
हेमलता बहन का कहना है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीबी की बीमारी के खात्मे को लेकर हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस अभियान के प्रचार-प्रसार में सभी लोगों का योगदान महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि टीबी की दवा के साथ-साथ मरीज को उच्च प्रोटीन युक्त भोजन का मिलना बेहद जरूरी है।
बालिकाओं ने साझा किए अनुभव :
देहरादून। हेमलता बहन का कहना है कि टीबी की बीमारी लेकर लोगों में व्याप्त धारणायें इस अभियान की सफलता में एक बड़ी बाधा है। वह कहती हैं कि आज भी हमारे समाज गरीब और इलाज से अनजान तबके में इस बीमारी को संक्रमण के डर से छुपाया जाता है, जिस कारण मरीज का समय पर इलाज नहीं हो पाता है। गुरूवार को जिला क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के तत्वावधान में दून के एक होटल में हेमलता बहन के प्रयासों से टीबी की बीमारी के इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो चुकीं कुछ बालिकाओं ने अपने अनुभव साझा किए। हेमलता बहन कहती हैं कि यह बहुत जरूरी है कि मरीज ठीक होने के बाद अपने इलाज की जानकारी लोगों तक पहुंचाये। वह यह भी कहती हैं कि किसी भी अभियान की सफलता के लिए जागरूकता ही मूल मंत्र है।
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