उत्तराखंड

ग्राम विकास के लिए महिला जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों की भूमिका महत्वपूर्ण : सेमवाल

देहरादून। पंचायतीराज विभाग के तत्वावधान में महिला जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों के लिए राज्य स्तरीय तीन दिवसीय अभिनव प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन पंचायतीराज निदेशक एचसी सेमवाल ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि महिला प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों को ग्राम पंचायतों के समग्र विकास, महिला अधिकारों के प्रति जागरूक होकर कार्य करना चाहिए ताकि ग्राम विकास के परिकल्पना को पूर्ण किया जा सके। उन्होने कहा कि अभिनव प्रशिक्षण के माध्यम से प्रतिभागियों को दी गईं कृषि, बागवानी, महिला सशक्ततीकरण, बेटी बचाओ, बेटी पढाओ, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नीति जानकारियां निश्चय ही लाभकारी साबित होंगीं।

आईआरडीटी सर्वेचौक स्थित सभागार में उत्तराखण्ड के प्रत्येक विकास 3 महिला प्रतिनिधियों एवं कार्मिकों द्वारा प्रतिभाग किया गया। इस अवसर पर पंचायती राज निदेशक सेमवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड सरकार द्वारा पंचायतों के लिए उत्तराखण्ड ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नीति 2017 प्रख्यापित की गयी है। इसके क्रियान्वयन के लिए पंचायतीराज विभाग चरणबद्ध रूप से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों, कार्मिकों का क्षमता विकास किया गया है। नीति के अनुसार ग्राम पंचायतों में डीपीआर तैयार निर्माण किया जाना है महिला जनप्रतिनिधियों एवं कार्मिकों की महत्वपूर्ण भूमिका है।

संयुक्त निदेशक डीपी देवराड़ी ने कहा कि अभिनव प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से महिला जनप्रतिनिधियों को स्वरोजगार के दिशा में विभिन्न संगठनों द्वारा किये जा रहे कार्यों के अवलोकन करने का अवसर दिया गया। प्रतिभागियों अलग-अलग समूहों में कृषि विज्ञान केन्द्र ढकरानी, महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग देहरादून, प्रसंस्करण यूनिट सहसपुर के साथ ही स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्थापित दलिया यूनिट एवं डेयरी इकाई का भ्रमण करवाया गया। प्रतिभागियों द्वारा इनके द्वारा किये गये कार्यों से सीख लेते हुये अपनी पंचायतों में स्वरोजगार की दिशा में कार्य करने का संकल्प लिया गया है।

सहायक निदेशक मनोज कुमार तिवारी ने बताया कि ग्राम विकास योजना में ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, महिला स्वरोजगार के कार्यो को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पंचायतीराज निदेशालय द्वारा ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की सूचनाओं के संकलन के लिए एमआईएस विकसित किया जा रहा है। रेखीय विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुये डीपीआर का निर्माण करना, मनरेगा की कार्ययोजना में डीपीआर के कार्यों को प्रख्यापित करना, आदि के अभिसरण के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के कार्यो को क्रियान्वित किया जाना है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में 1105 पंचायतों में 31 मार्च तक डीपीआर तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान विषेशज्ञ के रूप में डॉ. पूनम मैठाणी एवं डॉ. बीएस नेगी ने महिलाओं को स्वास्थ्य से सम्बन्धित जानकारियों दी गयी। जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव विवके कुमार ने कानूनी जानकारी और पूजा द्विवेदी ने महिलाओं को स्वरोजगार से सम्बन्धित जानकारी दी। महिला बाल विकास विभाग की नोडल अधिकारी आरती बलूदी, प्रीति ने महिलाओं के संचालित योजनाओं की जानकारी दी गयी।

वित्त कंटोलर प्रमिला पैन्यूली ने कहा कि ग्राम पंचायतों को अपनी आय विकसित करनी होगी उन्होंने राज्य के केन्द्र से मिलनी वाली निष्पादन ग्रान्ट के माध्यम से ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की गतिविधियां आयोजित की जानी है।
प्रशिक्षण प्रकाश रतूड़ी ने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए डीपीआर का निर्माण सहभागिता के आधार पर तैयार की जानी आवश्यक है इसके लिए पहले गांव स्तर पर वातावरण का निर्माण, संसाधनों का आंकलन एवं वहां समस्याओं को समस्याओं का चिन्हित कर डीपीआर का निर्माण किया जाना चाहिए।

मास्टर टेनर सुनीता देवी, मीनू क्षेत्री, गुड्डी देवी, सुलोचना देवी, सतपाल राणा, सहित 300 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। मास्टर ट्रेनर के रूप में विजय पंवार और सुबोध गोयल ने प्रतिभागियों के साथ अपने अनुभवों को साझा किया गया।

Key Words : Uttrakhand, Dehradun, Women’s Representatives, Training, Village Development

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