सूबे के छह जनपदों में बनेंगी नई जेल
देहरादून। प्रदेश में क्राइम बढ़ने से जेलों में बंदियों की संख्या भी जेल की क्षमता से कहीं अधिक बढ़ती जा रही है। कैदियों की सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए सरकार ने उत्तरकाशी, चंपावत, ऊधमसिंहनगर, रुद्रप्रयाग, बागेश्वर व पिथौरागढ़ जिलों में नई जेल बनाने का फैसला लिया है। सरकार का कहना है कि इन नई जेलों के खुलने के बाद प्रदेश के हर जिले में एक जेल होगी। जेल निर्माण का प्रस्ताव आईजी कारागार ने तैयार कर शासन को भेज दिया है। मुख्यमंत्री पहले ही इसे मंजूरी दे चुके हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक बैठक में यह मसला उठाया गया था। बैठक में सहमति बनी कि जिन जिलों में अभी जेल नहीं हैं, वहां छोटी जेल बनाई जाएंगी। महानिरीक्षक कारागार ने जेल संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। महानिरीक्षक कारागार पीवीके प्रसाद ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद जेलों के निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा।
वर्तमान में हैं 11 जेल व दो उप कारागार :
देहरादून। 13 जिलों वाले उत्तराखंड में इस समय कुल 11 जेल और दो उप कारागार हैं। इन जेलों में करीब 4000 से अधिक कैदी और बंदी है। जबकि इन जेलों की क्षमता 3000 से कम है। हालत यह है कि देहरादून, हरिद्वार व हल्द्वानी की जेलों हमेशा ओवरलोड रहती है। इससे न केवल सुरक्षा व्यवस्था के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है बल्कि कैदियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
पांच जिलों में नहीं है जेल :
प्रदेश के पांच जिलों उत्तरकाशी, चंपावत, ऊधमसिंह नगर रुद्रप्रयाग व बागेश्वर में जेल न होने के कारण इन जिलों के बंदी अल्मोड़ा, नैनीताल एवं टिहरी जेल में रखे जाते हैं। इन बंदियों की सुनवाई संबंधित जिलों में होती है लिहाजा अदालत तक लाने ले जाने में सुरक्षाकर्मियों को दिक्कत होती है। कई बार पुलिस की जरा सी लापरवाही से शातिर और कुख्यात अपराधी पुलिस अभिरक्षा से फरार भी हो जाते हैं या फिर बंदियों पर हमले का खतरा भी बना रहता है।
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